यूपी के कृषि मंत्री आनंद सिंह और उनके बेटे पूर्व सांसद कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ रविवार को सियासत की अलग-अलग छोर पर नजर आए. रविवार को नरेंद्र मोदी की विजय शंखनाद रैली पर स्वाभाविक रूप से बहुतों की नजरें थीं, मगर कई लोगों की निगाहें सूबे की सरकार में शामिल कृषि मंत्री और उनके बेटे कीर्तिवर्धन सिंह के अगले कदम पर भी थी.
उम्मीद के अनुसार सपा से इस्तीफा देने के बाद कीर्तिवर्धन रविवार सुबह जब गोंडा से बीजेपी का झंडा लगाकर इस रैली में शामिल होने के लिए अपने दल-बल के साथ लखनऊ रवाना हो रहे थे, करीब-करीब उसी समय कृषि मंत्री आनंद सिंह लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ मंच साझा करने के लिए होटल ताज विवांता पहुंच चुके थे. वे न सिर्फ तय समय साढ़े नौ बजते-बजते होटल पहुंच गए, बल्कि करीब डेढ़ घंटे तक सीएम के आने का इंतजार भी करते रहे.
यह पहला मौका है जब मनकापुर राजघराने के राजा आनंद सिंह और उनके बेटे कीर्तिवर्धन सिंह के बीच दूरी इस स्तर तक पहुंच गई है. आनंद सिंह के करीबी बताते हैं राजा तब भी कीर्तिवर्धन से सहमत नहीं थे, जब वे 2009 में बीएसपी की हवा देखकर हाथी संग मैदान में उतरने की 'हठ' कर बैठे थे. मगर तब राजा पुत्र का साथ नहीं छोड़ पाए थे. तब वे किसी राजनैतिक पद पर भी नहीं थे. तब न सिर्फ उन्होंने राजा भैया संग वोट मांगे थे, बल्कि सपा के खिलाफ बड़े-बड़े आरोप लगाते नजर आते थे. हालांकि नतीजा कीर्तिवर्धन के खिलाफ गया था.