यह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अफसर यशस्वी यादव के बीच का याराना ही था जिसने यूपी में सपा सरकार बनते ही यशस्वी को प्रदेश में तैनात करवा दिया.
महाराष्ट्र में कई विवादों को जन्म देने वाले यशस्वी यादव ने यूपी में भी यह सिलसिला बरकरार रखा. पूर्व में उनके द्वारा अतिउत्साह में लिए गये फैसलों को नजरअंदाज करती आ रही सरकार की आंखें चुनावी माहौल में भी नहीं खुली, नतीजा अदालत को संज्ञान लेना पड़ा.
सरकार को आम आदमी के आक्रोश का शिकार होना पड़ रहा है जिसका खामियाजा आगामी लोक सभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है. डॉक्टरों की हालिया हड़ताल पहला वाकया नहीं है जो प्रशासनिक अफसरों के लिए मुसीबत बना हो.
सरकार की सरपरस्ती के कारण एसएसपी यशस्वी यादव ने प्रशासनिक सीमाओं को लांघने में भी गुरेज नहीं किया. कई मौके आए जब प्रशासनिक अमले को उनके द्वारा खड़ी की गई मुसीबत को दूर करने में पसीना छूट गया. पर किसी की जुर्रत नहीं कि वह उन्हें उनकी हद बताए. डॉक्टरों की हड़ताल कोई नया मामला नहीं है. मसला चाहे जुलाई माह में बजरिया में हुए बवाल पर एक पक्षीय कार्रवाई का हो या नवंबर में सनिगवां में दो पक्षों में विवाद के बाद सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने का. कानपुर के एसएसपी यशस्वी वनमैन आर्मी की तरह काम कर रहे थे. प्रदेश के हाकिम से दोस्ती के कारण अपने अफसरों को भी कई मौकों पर नजरअंदाज किया.
अफसर दो धड़ों में बंट गए जिससे विकास कार्य भी बाधित होने लगे. जिसका दांव लगा उसने विकास से जुड़ी फाइलों को आपत्ति लगाकर रोक दिया. यह मुद्दा हाकिम के दरबार में कई बार उठा लेकिन हर बार दोस्त का पलड़ा ही भारी रहा. इन्होंने आते ही कानपुर के पेट्रोल पंप मालिकों पर शिकंजा कसने की कोशिश की और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर पेट्रोल पंपों पर थानेदारों से छापे डलवाकर नमूने भरवाए. पंप मालिकों को हारकर अदालत की शरण लेनी पड़ी.
तत्कालीन डीएम समीर वर्मा ने बाकायदा इस पर नाराजगी जताते हुए शासन को पत्र लिखा था. इसके बाद एसएसपी और डीएम में अंदरखाने तलवारें खिंच गई. 25 दिसंबर को एसएसपी नवीन मार्केट के सामने अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिन मना रहे भाजपाइयों से भिड़ गए. मारपीट तक की नौबत आ गई थी. बीजेपी के प्रदेश के नेता भी आ गए थे. किसी तरह मामला सुलझा.
इसके बाद एसएसपी ने लाल बंगला में पार्किंग को लेकर व्यापारियों की पिटाई की. इसमें सपा के एक नेता ने मामला शांत कराया. ऐसे ही हर्ष नगर में व्यापारियों पर लाठियां चलाई गई.