पूर्वी उत्तर प्रदेश में बाढ़ का प्रकोप जारी है. चंदौली के सैकड़ों गांव पिछले कई दिनों से पानी में डूब गए हैं. इस बाढ़ से डेढ़ लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है. अब तो उफनाई गंगा का पानी मुगलसराय-वाराणसी को जोड़ने वाली जीटी रोड तक आ चुका है और यहां सड़क पर पानी भर गया है.
सड़क के किनारे स्थित मंदिर में भी बाढ़ का पानी घुस गया है. ग्रामीण इलाकों में भी स्थिति काफी भयावह हो गई है और गांव की गलियों में नावे चलाई जा रही हैं. उधर बाढ़ पीडितों का आरोप है कि जरूरत के मुताबिक सरकारी मदद नहीं मिल पा रही है.
चंदौली में गंगा नदी पिछले कई दिनों से उफान पर हैं और उफनाई गंगा के लगातार बढ़ते जलस्तर ने चारों ओर हाहाकार मचा दिया है. जिले के सौ से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में हैं और बाढ़ के कहर से लोग बेहाल हैं. दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां लोग अपने घर की छतों पर दिन गुजार रहे हैं.
बाढ़ पीड़िता राम सरोज सोनकर ने कहा, 'यह 1978 के बाद की सबसे बड़ी बाढ़ है. यहां गलियों और घरों में काफी पानी घुस गया है. काफी आबादी प्रभावित हुई है. गलियों में नाव चलाना पड़ रहा है. शासन की तरफ से सुविधाएं जरूर मिल रही हैं, लेकिन वो पर्याप्त नहीं है.'
मुगलसराय के आस-पास के ग्रामीण इलाकों में भी बाढ़ का पानी भर गया है. इलाके के पड़ाव और आस-पास के कई गांवो में बाढ़ के पानी ने जन-जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है. गांव की उन गलियों में जहां बच्चे खेला करते थे, वहां 10 से 12 फीट तक पानी भर गया है.
फ्लड कंट्रोल रूम के प्रभारी जगरूप ने कहा, 'हमारे जनपद में 112 गांव प्रभावित हैं, जिसकी डेढ़ लाख आबादी प्रभावित है. राहत शिविर में युद्ध स्तर से काम हो रहा है. राहत के पैकेट ,खाद्य सामग्री, मिट्टी के तेल और रोजमर्रा की चीजें पहुंचाई जा रही हैं.'
चंदौली जिले में गंगा के तटवर्ती इलाके में बाढ़ ने तबाही मचाई है डेढ़ लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे हैं. जिला प्रशासन का कहना है कि बाढ़ से प्रभावित लोगों को हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है. वहीं दूसरी तरफ गंगा का रौद्ररूप अभी भी यथावत बना हुआ है.