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गाजियाबादः कोरोना ने एक ही परिवार के 3 बच्चों को किया अनाथ, अब जाएं तो जाएं कहां!

बच्चों ने कहा कि उन्हें मां-बाप की हर पल याद सताती है, लेकिन वो उनके सपनों के रूप में आज भी जिंदा हैं. तीनों बच्चे 82 साल के रिटायर्ड टीचर और दादा के साथ रह रहे हैं.

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कोरोना की वजह से अनाथ हो गए ये बच्चे (फोटो-राम किंकर)
कोरोना की वजह से अनाथ हो गए ये बच्चे (फोटो-राम किंकर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा बच्चे अनाथ हुए
  • मोदीनगर में 3 बच्चों ने पहले मां को खोया फिर पिता को
  • 82 साल के रिटायर दादा कर रहे इन बच्चों की परवरिश

कोरोना की पहली लहर ने मां की जान ले ली तो दूसरी ने पिता को छीन लिया. वो पिता जो घर के इकलौते कमाने वाले थे और डेढ़ साल के अंदर ही कोरोना से मां-बाप दोनों की मौत हो गई और तीन बच्चे बेसहारा हो गए. एक आंकड़े के मुताबिक सबसे ज्यादा 2,110 बच्चे उत्तर प्रदेश में अनाथ हुए.

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गाजियाबाद के मोदीनगर में 14 साल की अंशिका (बदला हुआ नाम) ने 9वीं पास 10वीं में आ गई. लेकिन वो पापा-मम्मी को याद कर बहुत रोती है. अंशिका के पिता उसे टीचर बनते देखना चाहते थे लेकिन अफसोस कोरोना की दूसरी लहर में उन्हें पहले तो खांसी-जुकाम हुआ, हालत गंभीर हुई लेकिन किसी भी अस्पताल में एडमिशन नहीं मिला.

वापस घर लाए गए तो ऑक्सीजन नहीं मिली और आखिर में उनकी जान चली गई. प्राइवेट जॉब करने वाले अंशिका के पिता के जाने के बाद अब बड़ा सवाल यही है कि अंशिका और उसके दो भाइयों की देखभाल कौन करेगा? 

अंशिका ने कहा कि पहली वेब में मां ने साथ छोड़ दिया और दूसरी कोरोना की लहर ने पिता तो अब जाएं तो जाएं कहां. वो कहती है पिता की इच्छा थी कि वो टीचर बने लिहाजा वो उनके सपने को किसी हाल में पूरा करेगी. एक भाई (12 साल) 7वीं में पढ़ता है और क्रिकेटर बनना चाहता है जबकि सबसे छोटा भाई (10) 5वीं में पढ़ता है और यू-ट्यूबर बनना चाहता है.

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82 साल के बुजुर्ग कर रहे परवरिश

बच्चों ने कहा कि उन्हें मां-बाप की हर पल याद सताती है, लेकिन वो उनके सपनों के रूप में आज भी जिंदा हैं. तीनों बच्चे अपने दादा के पास रह रहे हैं. पेशे से रिटायर्ड टीचर 82 साल के बुजुर्ग की आजतक के संवाददाता से बात करते हुए आंसू छलक उठे. वह इसी चिंता में हैं कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो बच्चों का क्या होगा? उन्हें कौन पालेगा.

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हर रोज अपने मां-बाप को खोने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. गाजियाबाद में ऐसे बच्चों की संख्या अब 12 से बढ़कर 17 हो चुकी है. वहीं कई लोग चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर फोन करके कोरोना की दूसरी लहर में मां-बाप को खोने वाले बच्चों की जानकारी दे रहे हैं.

कौन उठाएगा उनकी जिम्मेदारी, भविष्य के सामने यह बड़ा प्रश्न है. हालांकि अभी बच्चों की देखभाल उनके दादा-दादी या फिर रिश्तेदार कर रहे हैं. प्रशासन के मुताबिक कोरोना के दूसरी लहर की चपेट में 17 बच्चे ऐसे हैं जिनके मां-बाप की मौत हो गई और बच्चे अनाथ हो गए. करीब 67 बच्चे कैसे हैं जिनके माता या पिता में से एक की मौत हुई. सूचना के बाद जिला प्रशासन की टीम आकर न केवल जांच कर रही है बल्कि बच्चों के रजिस्ट्रेशन के साथ ही सरकारी इंतजामों को पहुंचने का काम कर रही है.

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अनाथ बच्चों की सही संख्या के लिए LG को पत्र
इस बीच कोरोना काल में राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला भी लगातार जारी है. कोरोना में होने वाली कम टेस्टिंग और मौतों के कम आंकड़े दिखाकर दिल्ली को भ्रमित करने का आरोप लगाने वाली दिल्ली बीजेपी ने अब अनाथ हुए बच्चों की संख्या पर दिल्ली सरकार को घेरा है.

दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखा है. ट्वीट करते हुए प्रवीण ने कहा कि बीते 28 मई को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि दिल्ली में भयंकर कोविडकाल में कोविड के कारण के कारण 17 साल तक के केवल 2 बच्चे अनाथ हुए और केवल 3 बच्चों ने अपना एक अभिभावक खोया है.

दिल्ली भाजपा प्रवक्ता ने उपराज्यपाल से मांग की है कि वह दिल्ली सरकार के संबंधित विभाग को कोविड से अनाथ हुए या एक अभिभावक खोने वाले बच्चों का सही आंकड़ा जुटाने के लिए पुनः सर्वे एवं सत्यापन कर माननीय सुप्रीम कोर्ट में अगली तारीख पर सही आंकड़ा रखने का आदेश दें.

एनसीपीसीआर का आंकड़ा कहता है कि 1 अप्रैल 2020 से लेकर अभी तक 1742 बच्चे अनाथ हुए हैं. एक पेरंट की मौत होने वाले बच्चों की संख्या 7464 है. सबसे ज्यादा बच्चे यूपी में अनाथ हुए हैं जिनकी संख्या 2210 है. 

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