गाजियाबाद के मसूरी इलाके में एक जुलाई को गैंगरेप की शिकार हुई दलित किशोरी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. पीड़ित किशोरी वारदात के बाद से दबंग आरोपियों के डर से परिवार के साथ मोदीनगर में रह रही थी. आरोपी पक्ष की धमकियों से परेशान होकर उसने मौत को गले लगा लिया. परिवारवालों का कहना है कि इलाके के सपा विधायक आरोपी पक्ष की मदद कर रहे थे, जिसके चलते पुलिस भी मामले को हल्के में ले रही थी.
एक जुलाई को गेंगरेप की शिकार हुई पीड़ित बदनसीब लड़की ने गुरुवार को अपने एक संबंधी के घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. परिवार का कहना है कि गैंगरेप के आरोपियों के परिवारवालों की वजह से इस लड़की ने अपनी जान दी है. गैंगरेप के बाद से ही पीड़ित लड़की मोदी नगर में अपने पिता व परिवारवालों के साथ बुआ के घर में रुकी हुई थी.
परिवारवालों की मानें तो वारदात के बाद से ही इलाके का सपा विधायक आरोपी पक्ष की मदद कर रहा था. इसी वजह से पुलिस गैंगरेप की घटना को लगातार हल्का करने में लगी रही. आरोप है कि इसी के चलते पुलिस ने गेंगरेप के मामले में महज एक शख्स को ही आरोपी बनाया था.
गैंगरेप की शिकार बदनसीब किशोरी अब इस दुनिया में नहीं रही लेकिन अब भी उसके घर पर ताला लटक रहा है. दबंगों के डर से अब भी उसके परिवारवाले गांव में रहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं.
मसूरी के अंबेडकर गांव गालंद में हुई इस सनसनीखेज वारदात में शुरुआत से ही टालमटोल वाला रवैया अपनाने वाली पुलिस क्या गेंगरेप पीड़ित की आत्महत्या के बाद भी मामले में ठोस कार्रवाई करेगी? ये ऐसा सवाल है जिसका जवाब अब लखनऊ में बैठे आला अफसर ही बेहतर दे सकते हैं.