गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में करीब सात महीने तक हिरासत में रहे डॉ. कफील को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को जमानत दे दी थी. हाईकोर्ट के आदेश के बाद में मिले विवरण के मुताबिक कोर्ट ने यह कहा है कि कफील के खिलाफ चिकित्सीय लापरवाही के कोई सबूत नहीं पाए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि उन्हें इतने महीने तक बेवजह जेल में रखा गया.
गौरतलब है कि अगस्त, 2017 में कथित तौर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने से गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पांच दिन में 60 बच्चों की मौत हो गई थी. कफील को सितंबर, 2017 में गिरफ्तार किया गया था. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने आदेश में कहा, ' ऑन रिकॉर्ड ऐसी कोई सामग्री नहीं मिले है जिससे यह बात साबित हो सके कि आवेदक (कफील) ने चिकित्सीय लापरवाही की है. इसके अलावा उनके खिलाफ कोई कोई जांच भी नहीं शुरू की गई है.'
डॉ. कफील को जमानत देने की मुख्य वजह कोर्ट ने यूपी सरकार के हलफनामे को बताया. कोर्ट ने कहा, 'यूपी सरकार ने अपने हलफनामे और खासकर उसके पैराग्राफ 16 में बच्चों की मौत के लिए मेडिकल ऑक्सीजन की कमी को वजह नहीं माना है. यही नहीं, राज्य सरकार ने ऐसा कोई साक्ष्य भी पेश नहीं किया है, जिससे यह साबित हो या संकेत मिले कि आवेदक ने प्रत्यक्षदर्शियों को प्रभावित करने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ की कोशिश की है.'
बेवजह जेल में रखा गया
अदालत ने कहा कि खान को इसके बावजूद जेल में रखा गया कि, 'वह अस्पताल में मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी की टेंडरिंग प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थे. आवेदक को 7 महीने तक हिरासत में रखा गया. अब उनके ऊपर किसी तरह की जांच बाकी नहीं है, इसलिए आगे उन्हें हिरासत में रखने की कोई जरूरत नहीं है.'
कोर्ट ने कहा कि आवेदक एक डॉक्टर हैं और सरकारी कर्मचारी हैं, जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. डॉ. कफील खान ने जेल से एक लेटर जारी कर कहा था कि उच्च स्तर के लोग 'प्रशासनिक विफलता' के लिए उन्हें बलि का बकरा बना रहे हैं.