scorecardresearch
 

स्टिंग में खुलासा, गोरखपुर के BRD अस्पताल में बच्चों के मां-बाप को उस रात कैसे किया गया गुमराह

गोरखपुर के सरकार संचालित अस्पताल ने सिर पर खड़ी आपदा से जुड़ी हर जानकारी को मरीजों और उनके परिजनों से छुपाया. वो भी ऐसे हालात में जब मौत की उस काली रात में बीमार बच्चे ऑक्सीजन की कमी के चलते एक-एक सांस लेने के लिए तड़प रहे थे. आज तक/इंडिया टुडे की गहन जांच से ये खुलासा हुआ है. पढें एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

Advertisement
X
गोरखपुर त्रासदी
गोरखपुर त्रासदी

Advertisement

गोरखपुर के सरकार संचालित अस्पताल ने सिर पर खड़ी आपदा से जुड़ी हर जानकारी को मरीजों और उनके परिजनों से छुपाया. वो भी ऐसे हालात में जब मौत की उस काली रात में बीमार बच्चे ऑक्सीजन की कमी के चलते एक-एक सांस लेने के लिए तड़प रहे थे. आज तक/इंडिया टुडे की गहन जांच से ये खुलासा हुआ है.

शहर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 10-11 अगस्त की रात को 34 नौनिहाल एक के बाद एक मौत के मुंह में जाते रहे, लेकिन जांच से सामने आय़ा है कि अस्पताल प्रशासन की ओर से ऐसी स्थिति में भी पारदर्शिता, संवाद और जवाबदेही का पूरी तरह अभाव दिखा.

गोरखपुर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि रहा है. इसी गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में 7 अगस्त से 11 अगस्त की दोपहर तक 64 बच्चों ने दम तोड़ा. इनमें से अधिकतर एन्सेफलाइटिस (दिमागी बुखार) से पीड़ित थे.

Advertisement

सबसे ज्यादा 34 मौत 10-11 अगस्त की रात में कुछ घंटों के अंतराल पर ही हुईं. त्रासदी के बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘अगर मौतें ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुईं तो ये जघन्य अपराध है.’  योगी आदित्यनाथ ने ये भी कहा था कि ‘अगर हम सही तथ्यों को पेश करें तो ये मानवता की सेवा होगा.’

आज तक/इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने अपनी जांच से दिल दहला देने वाली इस घटना से जुड़े तथ्यों को परत-दर-परत सामने ला दिया है. इससे पता चलता है कि बीआरडी अस्पताल में मौत की उस रात में कैसे बच्चों के माता-पिता को पूरी तरह अंधेरे में रखा गया. उन्हें आने वाले खतरे की भनक तक नहीं लगने दी गई जब नर्सों ने वेंटिलेटर्स के हुक हटा कर मैन्युल एयर बैग्स उनके हवाले किए जिससे कि बच्चों को ऑक्सीजन दी जा सके.   

आज तक/इंडिया टुडे की जांच टीम उस शख्स तक पहुंची जो उस दुर्भाग्यपूर्ण रात को ऑक्सीजन की आपूर्ति को देख रहा था. 10-11 अगस्त की त्रासदी वाली रात को एयर सिस्टम्स का ऑपरेशन बलवंत गुप्ता के हाथ में था. बलवंत गुप्ता ने बताया, ‘हमारे पास 52 ऑक्सीजन सिलेंडर थे. जब पाइप से होने वाली सप्लाई 7.30 बजे शाम को गिर गई तो कुछ अन्य स्टाफ ने बैकअप सिलेंडरों से उन्हें बदल दिया. जब मैंने चार्ज लिया (शिफ्ट का) तो सारी सप्लाई रात 11.30 बजे तक खत्म हो गई.’

Advertisement

गुप्ता के मुताबिक उन्होंने अस्पताल के स्टाफ में हर किसी को सूचित किया था कि कुछ ही घंटों में सिलेंडर्स की ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी. उन्हें आपातकालीन व्यवस्था के तौर पर बैग्स तैयार रखने के लिए कहा गया था. लेकिन बच्चों के माता-पिता को इस संकट के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. गुप्ता ने कबूल किया, ‘मैं नहीं जानता कि अगर ये सब मैं बच्चों के माता-पिता या तीमारदारों को बता देता तो क्या होता?’  

गुप्ता ने खुलासा किया, ‘हाथ से संचालित उपकरण के जरिए बच्चों के माता-पिता उन्हें दो घंटे तक हवा देते रहे जब तक कि ऑक्सीजन के नए सिलेंडर नहीं आ गए. जो वाहन इन सिलेंडर को ला रहा था, उसे आने में देर हो रही थी. वो आधी रात के बाद 1.22 बजे पहुंचा. ऑक्सीजन की आपूर्ति डेढ़ बजे तक बहाल हो पाई.’

अंडरकवर रिपोर्टर ने गुप्ता से पूछा कि मौतों की वजह क्या थी?

इस पर गुता ने कहा, ‘ऑक्सीजन नहीं मिल पाना, और क्या? आपूर्ति पर्याप्त होनी चाहिए थी जो कि नहीं थी. इसी वजह से उन्हें भुगतना पड़ा.’ बता दें कि सरकार की ओर से बिठाई गई जांच में बीआरडी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा, चीफ एनेस्थेटिस्ट सतीश कुमार और चीफ फॉर्मासिस्ट गजानन जैसवाल को स्थिति काबू से बाहर होने के लिए इंगित किया गया है. लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स को भी 4 अगस्त के बाद पेमेंट भुगतान के मुद्दों पर डिलिवरी को बाधित करने के लिए जिम्मेदार माना गया है.

Advertisement

आज तक/इंडिया टुडे की जांच से ये भी सामने आया है कि अस्पताल के शीर्ष डॉक्टर एक हफ्ते से ऑक्सीजन की कमी के बावजूद ना सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे बल्कि उन्होंने आपातकालीन जरूरत की कॉल्स का भी कोई जवाब नहीं दिया. गुप्ता ने बताया, ‘सुपरिटेंडेंट-इन-चीफ ने सुबह होने के बाद ही जवाब दिया और पूछा कि क्या हुआ?  साथ ही ये भी कहा कि वो 9 बजे आकर संबंधित लोगों के साथ बैठक करेंगे.’   

रिपोर्टर ने पूछा, ‘पहली बार उन्हें कब फोन किया गया था?’

गुप्ता ने कहा, ‘मैंने रात को ही उन्हें फोन किया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने सुबह 7 बजे मुझे फोन किया.’ बीआरडी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रवक्ता वी के चौरसिया के मुताबिक उस रात को जब बच्चों ने एक के बाद एक दम तोड़ना शुरू कर दिया तो उनके माता-पिता को ड्यूटी स्टाफ ने वार्ड से बाहर धकेलना शुरू कर दिया.

चौरसिया ने माना, ‘सभी लोगों को उस रात बाहर किया जा रहा था ताकि वो ये ना जान सकें कि उनके बच्चे मर चुके हैं.’ चौरसिया ने कहा, अभिभावकों को बाहर निकाला जा चुका था. जब डॉ कफील (खान) पहुंचे, तब कुछ अन्य डॉक्टरों को भी बुला कर विचार किया गया कि आगे क्या करना है. उसी के बाद मृत बच्चों को उनके माता-पिता को सौंपना शुरू किया गया.’

Advertisement

हालांकि यहीं इस त्रासद कहानी का अंत नहीं हो जाता. आज तक/इंडिया टुडे की जांच से सामने आया कि अनेक प्रोटोकॉल्स का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया गया. इसमें टेंडर से लेकर ऑक्सीजन की आपूर्ति का इंतजाम करना सब शामिल रहा.   

आज तक/इंडिया टुडे के हाथ लगे दस्तावेज के मुताबिक अस्पताल के लिए सिलेंडर जिस प्लांट से आउटसोर्स किए जा रहे थे वो गोरखपुर से 350 किलोमीटर की दूरी पर था. ये प्लांट था इलाहाबाद में- इम्पीरियल गैसेज लिमिटेड. जांच से ये भी पता चला कि कंपनी ने गोरखपुर अस्पताल को औद्योगिक ऑक्सीजन की आपूर्ति की हो सकती है.

अस्पताल के मुख्य फार्मासिस्ट गजानन (जो खुद जवाबदेही के घेरे में हैं) ने बताया, डील प्रिंसिपल ने खुद तय की थी. उन्होंने मुझे अपने आदेशों पर पालन करने के लिए कहा था. मैंने उन्हें इसके बारे में (औद्योगिक आपूर्ति) बताया था. लेकिन उन्होंने अनदेखी की.

तत्कालीन चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ ए के श्रीवास्तव ने आज तक/इंडिया टुडे की टीम को ठीक उस जगह का हवाला दिया जहां से बीआरडी को ऑक्सीजन सिलेंडर्स की आपूर्ति होती थी. डॉ श्रीवास्तव ने बताया, ‘इसका (इम्पीरियल गैसेज का) डिपो फैजाबाद में है जहां से कई अस्पतालों को डिलिवरी की जाती है.’      

फैजाबाद में प्लांट मैनेजर ने माना कि ये यूनिट सिर्फ फैक्ट्री ऑक्सीजन का उत्पादन करती है ना कि मेडिकल ऑक्सीजन का. फैजाबाद में इम्पीरियल गैसेज फैक्ट्री के मैनेजर एस के वर्मा ने कहा, ‘देखिए हम यहां मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं करते. हमारे पास मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन का लाइसेंस नहीं है. इसमे कई तरह की औपचारिकताओं की जरूरत होती है. ना ही हम इसका (मेडिकल ऑक्सीजन) का कोई स्टाक रखते हैं. हम सिर्फ आपूर्ति के लिए औद्योगिक (ऑक्सीजन) स्टोर करते हैं.’

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement