घर के लिए आम्रपाली के बायर्स लगातार सरकार और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन ना तो सरकार इस मुद्दे को लेकर स्थिति स्पष्ट कर रही है और ना ही ऑथिरिटी.
मींटिग का सिलसिला जारी है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है. हालांकि बायर्स भी अपनी कोशिशों को बंद नहीं कर रहे हैं. लिहाजा आम्रपाली के बायर्स ने एक बार फिर ऑथिरिटी का दरवाजा खटखटाया. इस बार भी लंबी मीटिंग का दौर चला, जिसमें ग्रेटर नोएडा ऑथिरिटी के सीइओ देवाशीष पांडा के अलावा एसीओ आनंद मोहन भी मौजूद रहे.
दरअसल, इतना हो हल्ला के बाद भी किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि इन बायर्स को घर मिलेगा कि नहीं...और अगर मिलेगा तो कैसे?
1. क्यूरी & ब्राउन करेगी आम्रपाली का ऑडिट
आम्रपाली सेंचूरियन पार्क ऑडिट पर पूछे गए सवाल पर बायर्स को बताया गया कि ग्रेटर नॉएडा अथॉरिटी ने क्यूरी & ब्राउन (Curri & Brown)को शॉर्टलिस्ट कर लिया हैं. क्यूरी & ब्राउन इंग्लैंड की एक नामी मैनेजमेंट कंपनी है, जो रियल एस्टेट इंडस्ट्री में कंसल्टेंसी सर्विसेज प्रोवाइड करती हैं.
आम्रपाली सेंचूरियन पार्क का ऑडिट भी यही कंपनी करेगी, जिसके लिए MOU पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. अब नए बिल्डर सेंचूरियन पार्क के बिल्डर के रूप में यह हस्ताक्षर करेंगे, जिसकी रिपोर्ट ग्रेटर नॉएडा अथॉरिटी को दिसंबर के अंत तक मिलेगी यानी अब आम्रपाली का ऑडिट होगा, लेकिन इससे घर की समस्या कैसे सुलझेगी...ये पता नहीं?
2. आम्रपाली सेंचूरियन पार्क को-डेवलपर की नियुक्ति
प्राधिकरण के अनुसार इस परियोजना को पूर्ण करने के लिए किसी भी को-डेवलपर को नहीं लाया गया है, जब तक कि वह प्राधिकारी की मांग के अनुसार जरुरी दस्तावेज जमा न करे. तदनुसार उसे अंतिम रूप दिया जाएगा. दस्तावेज़ पेश करने की अंतिम तिथि दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक होगी. अगर बिल्डर विनय विशाल सेंचूरियन पार्क का एक अंग बन जाता है, तो भी आवशयक दस्तावेज प्राधिकरण को जमा करवाने होंगे, जो उसने अभी तक नहीं करवाए हैं.
3. आम्रपाली सेंचूरियन पार्क ने रेरा में कराया पंजीकरण
आम्रपाली ने रेरा में पंजीकरण करा लिया है, लेकिन 12 दिसंबर तक आम्रपाली सेंचुरियम पार्क को अपने दस्तावेज लखनऊ में सत्यापित करवाना होगा. अगर ऐसा नहीं होता है, तो खुद-ब-खुद पंजीकरण रद्द हो जायेगा.
4. प्राधिकरण का सुझाव
आम्रपाली मसले की स्थिति जटिल है. लिहाजा अधिकारियों ने सुझाव दिया कि सभी पक्षों के द्वारा दबाव बनाने की आवश्यकता है, जिसमें बिल्डर के विरुद्ध RERA में शिकायत दर्ज करवाना भी शामिल है. यानी किसी भी स्थिति में बायर्स के पास इंतजार के अलावा कोई चारा नहीं है. इसके बावजूद भी क्या घर मिलेगा...ये भी बताने वाला कोई नहीं है.