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ग्रेटर नोएडाः तीन लाख टन कूड़े का होगा निस्तारण, आज से शुरू हुआ शहर का पहला रेमेडिएशन प्लांट

लखनावली में बॉयो रेमेडिएशन प्लांट से कूड़े को प्रोसेस करने पर खाद, आरडीएफ व मिट्टी मिल सकेगी. कूड़े में से करीब 50 फीसदी मिट्टी और 20 फीसदी खाद आदि कई चीजें मिलने का आकलन है.

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सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लखनावली में ग्रेटर नोएडा के पहले रेमेडिएशन प्लांट का शुभारंभ
  • प्लांट से कूड़े को प्रोसेस करने पर खाद, आरडीएफ व मिट्टी मिलेगी
  • लखनावली में एकत्रित कूड़े को दो साल में निस्तारित करने का लक्ष्य

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने शहर को स्वच्छ बनाने के लिए बड़ी पहल की है. ग्रेटर नोएडा का पहला रेमेडिएशन प्लांट (कूड़ा प्रसंस्करण केंद्र) मंगलवार को लखनावली में शुरू हो गया. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ दीपचंद्र ने मंगलवार को इसका शुभारंभ किया.

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दरअसल, ग्रेटर नोएडा से रोजाना निकलने वाले करीब 250 टन कूड़े को लखनावली में डंप किया जाता है. यहां पर तीन लाख टन से अधिक कूड़ा जमा हो चुका है. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण के निर्देश पर इस कूड़े को निस्तारित करने के लिए रेमेडिएशन प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया. रेमेडिएशन प्लांट लगाने के लिए टेंडर के जरिए ब्राजील की कंपनी लारा का चयन किया गया.

कूड़े से मिलेगी करीब 50 फीसदी मिट्टी
इस कंपनी ने भारतीय कंपनी एवियन एमरो के साथ मिलकर कूड़ा निस्तारित करने के लिए अनुबंध किया. दोनों कंपनियों ने मिलकर लखनावली में प्लांट तैयार किया, जिसे मंगलवार से शुरू कर दिया. यहां पर लगी पावर स्कैनर, ट्रॉमेल और वेइंग ब्रिज आदि मशीनों को शुरू किया गया. 

लखनावली में बॉयो रेमेडिएशन प्लांट से कूड़े को प्रोसेस करने पर खाद, आरडीएफ व मिट्टी मिल सकेगी. कुल कूड़े में से करीब 50 फीसदी मिट्टी, 20 फीसदी खाद, 20-25 फीसदी आरडीएफ और 05 फीसदी इनर्ट वेस्ट मिलने का आकलन है.

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आरडीएफ से फ्यूल बनेगा 
आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राइव्ड फ्यूल, प्रमुखतः प्लाटिस्टक वेस्ट) का इस्तेमाल फ्यूल बनाने में होगा. इस फ्यूल का इस्तेमाल एनटीपीसी करने को तैयार है. उससे बातचीत चल रही है और करार जल्द होने की उम्मीद है. एनटीपीसी इसका इस्तेमाल ऊर्जा के उत्पादन में करेगा. इससे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को आमदनी भी होगी.

इस प्लांट से रोजाना 10 ट्रक से अधिक मिट्टी निकलेगी, जिसका इस्तेमाल छह प्रतिशत आबादी प्लॉट को विकसित करने और अन्य सड़कें बनाने में किया जाएगा. इस प्लांट से निकलने वाले खाद को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण शहर की हरियाली बढ़ाने में उपयोग करेगा. इनर्ट वेस्ट को लैंडफिल साइट पर डंप किया जाएगा.

आरडीएफ से कुर्सी-बेंच बनेंगेः दीपचंद्र 
इस मौके पर एसीईओ दीपचंद्र ने कहा कि शहरीकरण की सबसे बड़ी चुनौती कूड़े का उचित प्रबंधन है. ग्रेटर नोएडा ने इस ओर बड़ा कदम उठाया है. लखनावली में एकत्रित कूड़े का प्रबंधन करना बहुत जरूरी था. मानव स्वास्थ्य के लिए भी यह उपयोगी है. लखनावली में डंप कूड़े में से किचन वेस्ट को अलग कर खाद बनाया जाएगा जिसका उपयोग प्राधिकरण अपनी बागवानी के लिए भी करेगा. इससे करीब 50 फीसदी कूड़ा खत्म हो जाएगा. शेष 50 फीसदी कूड़े में से प्लास्टिक वेस्ट को अलग कर रीसाइकिलिंग प्लांट को भेज दिया जाएगा. वहां आरडीएफ (प्रमुखतः प्लास्टिक वेस्ट) से फ्यूल या  मल्टी लेयर बोर्ड बनेंगे, जिससे कुर्सी, बेंच, ट्री गार्ड जैसे उत्पाद बन सकेंगे.

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उन्होंने बताया कि कंस्ट्रक्शन से जुड़े अवशेष का इस्तेमाल सड़कें बनाने और गड्ढे भरने में हो सकेगा. दो साल में लखनावली में डंप कूड़े को साफ करने की योजना है. प्लांट पर सीसीटीवी कैमरे भी लगेंगे, जिससे प्राधिकरण को भी पता चल सकेगा कि कितना कूड़े का निस्तारण किया गया. इतना ही नहीं, प्लांट में कूड़े के निस्तारण प्रक्रिया पर ग्रेटर नोएडा के निवासी भी प्राधिकरण की वेबसाइट के जरिए नजर रख सकेंगे. इस प्रसंस्करण प्लांट के शुरू होने से ग्रेटर नोएडा को और स्वच्छ बनाने में मदद मिलेगी. इस मौके पर एवियन एमरो के प्रतिनिधियों की तरफ से प्राधिकरण के एसीईओ दीपंचद्र, डीजीएम सलिल यादव व ई एंड वाई के प्रतिनिधियों को पौधे भी भेंट किए गए.


 

 

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