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फिरोजाबाद समेत उत्तर प्रदेश के आसपास के दूसरे जिलों में वायरल बुखार की स्थिति बेकाबू हो रही है. शहरी इलाकों में डेंगू का प्रकोप है तो ग्रामीण इलाकों में बुखार अधिकांश आबादी और उसमें भी ज्यादातर बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है.
आजतक टीम ने जमीन पर इस आपदा की तीव्रता और इससे निपटने के लिए सरकार की तैयारियों की ग्राउंड रिपोर्ट के लिए फिरोजाबाद से आगे एटा की ओर निकली, लेकिन जैसे ही टीम ने एटा की सीमा में प्रवेश किया, यहां के हालात चिंताजनक दिखाई पड़ने लगे.
कुटियालपुर बाजार में एक दुकान के नीचे 26 साल के श्री कृष्ण लेटे हैं, जिनके हाथों में ड्रिप लगी है. दुकान दवा की है लेकिन दवा के अलावा और भी बहुत कुछ बिकता है. मौके पर डॉक्टर तो नहीं हैं, लेकिन वायरल और कमजोरी से ग्रस्त श्री कृष्ण का यहां ऐसे ही इलाज चल रहा है. दुकान पर काम करने वाले शख्स ने बताया कि डॉक्टर साहब उनके भाई लगते हैं, लेकिन वो फिलहाल यहां है नहीं, इसलिए वही ड्रिप लगा और उतार रहे हैं.
एक चौराहा पार करके जब टीम दूसरे चौराहे की ओर बढ़ी. इलाके का नाम था बहानपुर और यहां जो तस्वीर दिखाई दी वो बेहद चिंताजनक और गंभीर रही. ना अस्पताल है, ना दवा की दुकान है, ना कोई चिकित्सा केंद्र है, लेकिन बड़ी संख्या में महिला और पुरुष मरीज अलग-अलग तख्ते पर लेटे हैं जिनका इलाज चल रहा है. कोई खाद बेचने वाली दवा के नीचे बैठा है तो कोई ब्यूटी पार्लर के सामने. डॉक्टर के नाम पर यह भी नहीं पता कि जो दवा देने वाला झोलाछाप है या विशेषज्ञ.
औनघाट से आए विष्णु बताते हैं कि ज्यादातर लोगों को प्लेटलेट्स कम होने की शिकायत है और अधिकतम तीव्र बुखार से पीड़ित हैं, लेकिन कोई व्यवस्था ना होने के चलते वो यहां इस अवस्था में इलाज करवाने आ रहे हैं. विष्णु कहते हैं कि उनके गांव में हर घर में बुखार फैला हुआ है.
यह तस्वीरें प्रदेश में और जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रही हैं कि जब इतने सारे लोग तीव्र बुखार से पीड़ित हैं तो बंदोबस्त उनके इलाज का क्यों नहीं है. बहानपुर एटा शहर से ज्यादा दूर नहीं है कि चिकित्सकों की टीम यहां भेजी जा सके लेकिन लोग कथित डॉक्टरों से जान जोखिम में डालकर इलाज करवाने पर मजबूर हैं. सिर्फ एक जगह ही नहीं बल्कि सड़क की तरफ दूसरी दुकान में भी इलाज के नाम पर यही हो रहा था लेकिन जैसे ही कैमरा दुकान की ओर घूमा तो डॉक्टर ने शटर गिराया और मरीज अंदर ही छोड़ खुद फरार हो गया. अगल बगल के दुकान वालों ने कैमरे के सामने चुप्पी साध ली या चलते बने.
स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर बुखार का इलाज कैसे हो रहा है यह आपने देख लिया. अब आपको औनघाट गांव लिए चलते हैं जहां से सबसे ज्यादा मरीज इस चौराहे पर इलाज करवाने आ रहे हैं. गांव में एक अजीब सन्नाटा पसरा है. यहां भी कहानी वही है जो दूसरे जिलों में है. ज्यादातर लोग बुखार से पीड़ित हैं किसी का प्लेटलेट्स कम हुआ है तो कोई कहता है कि डेंगू की शिकायत है.
औनघाट गांव के निवासी कुलदीप ने आज तक को बताया कि यहां बुखार का प्रकोप फैला हुआ है, लेकिन प्रशासन की ओर से इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. कुलदीप बताते हैं आखरी बार स्वास्थ्य कर्मियों की टीम 15 दिन पहले आई थी लेकिन उसके बाद जब से यह आपदा बड़ी है तब से कोई हाल पूछने नहीं आया इलाज तो दूर की बात है.
हरिओम के घर में 5 सदस्य बुखार से पीड़ित हैं. उनकी पत्नी और 4 बच्चे घर में दवाइयों के सहारे चल रहे हैं. हरिओम कहते हैं कि उनकी पत्नी का प्लेटलेट्स गिर चुका है और डॉक्टर ने कहा है कि इलाज करवाने निजी अस्पताल ले जाएं लेकिन उनके पास इलाज करवाने के पैसे भी नहीं हैं. हरिओम का कहना है कि जो कुछ बचा था इलाज में लग गया और आगे पास के चौराहे से दवा लाकर घर वालों का घर में ही इलाज कर रहे हैं.
हरिओम की तरह राधेश्याम के घर में भी तस्वीर ऐसी ही है. घर के चार सदस्य बुखार से पीड़ित हैं और उनकी गली में लगभग हर घर में मरीज मौजूद है. राधेश्याम कहते हैं कि आस पस कोई व्यवस्था नहीं है तो दवा के लिए कहां जाएं इलाज कहां करवाएं. उनकी बहू को लगता है कि जिस तरह का बुखार है ऐसे में यह मलेरिया का लक्षण हो सकता है इसलिए चौराहे से आई दवा से इलाज हो रहा है.
वायरल फीवर के नाम पर हल्ला तो है लेकिन बुखार की वजह और लक्षण के नाम पर सब कुछ रहस्य बन कर रह गया है, छोटे कस्बों और गांवों में हालात गंभीर हैं और तत्काल मदद के इंतजार में हैं, इससे पहले कि हालात और बिगड़ जाएं.