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WhatsApp ग्रुप में फर्जी खबर वायरल होने पर एडमिन जिम्मेदार या नहीं? HC ने दिया जवाब

WhatsApp ग्रुप में फर्जी संदेश को लेकर दाखिल की गई एक याचिका की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि गलत खबरों को वायरल करने पर एडमिन भी उतना ज़िम्मेदार है, जितना सदस्य.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इलाहाबाद HC ने सुनवाई के दौरान दिया जवाब
  • कहा- सदस्य के साथ ही ग्रुप एडमिन भी जिम्मेदार

गलत या भ्रामक WhatsApp मैसेज के लिए जिम्मेदार कौन है? ग्रुप का एडमिन या शेयर करने वाला? इन दोनों सवालों का जवाब हर कोई जानना चाहता है. अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सवालों का जवाब दे दिया है. एक मामले की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि गलत खबरों को वायरल करने पर एडमिन भी उतना ज़िम्मेदार है, जितना सदस्य.

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दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक WhatsApp ग्रुप पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूपांतरित तश्वीर डाली गई थी, जिसपर आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इसको चुनौती देते हुए याची ग्रुप एडमिन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस आपराधिक प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की थी.

इस मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आईटी एक्ट के तहत WhatsApp ग्रुप एडमिन के खिलाफ दर्ज की गई आपराधिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है. ये आदेश न्यायमूर्ति मोहम्मद आलम ने दिया है. याचिका ग्रुप एडमिन मोहम्मद इमरान मलिक ने दाखिल की थी, जिस पर हाई कोर्ट ने सुनवाई की थी.

याची इमरान का कहना था कि वो WhatsApp ग्रुप का एडमिन है लेकिन प्रधानमंत्री की रूपांतरित तश्वीर ग्रुप के सदस्य निज़ाम आलम ने डाला है और ग्रुप के सदस्य के इस कृत्य के लिए दोषी नहीं हो सकता इसलिए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया जाए.

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वहीं सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि याची ग्रुप का एडमिन है और वो उतना ही दोषी जितना ग्रुप का सदस्य है और वो अपराध के बराबर का भागीदार है. सुनवाई करते हुए कोर्ट माना है कि एडमिन भी गलत संदेशों के लिए ज़िमेदार है, इस आधार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.

 

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