ज्ञानवापी- मां श्रृंगारगौरी केस में वाराणसी जिला कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की हिन्दू पक्ष की मांग खारिज कर दी है. अदालत ने कहा कि यदि कार्बन डेटिंग सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण के संबंध में 17 मई 2022 को निर्देशित किया है कि अधिवक्ता कमिश्नर की कार्यवाही के जो कथित शिवलिंगम पाया गया है इसे सुरक्षित रखा जाए.
अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में यदि कार्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग करने पर या ग्राउंड पेनिनट्रेटिंग रडार का प्रयोग करने पर उक्त कथित शिवलिंगम को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का उल्लंघन होगा इसके अतिरिक्त ऐसा होने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है. अदालत ने कहा कि भारतीय पुरातत्व को सर्वे का निर्देश दिया जाना उचित नहीं होगा और ऐसा आदेश देने से इस वाद में निहित प्रश्नों के न्यायपूर्ण समाधान की कोई संभावना प्रतीत नहीं होती है. इसलिए इस प्रार्थना प्रत्र को खारिज किया जाता है.
इसके साथ ही अब स्पष्ट हो गया है कि ज्ञानवापी में मिले 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग नहीं होगी. सवाल उठता है कि अब कार्बन डेटिंग केस में दोनों पक्षों के पास क्या विकल्प है.
उच्च न्यालाय में हम अपनी बात रखेंगे: हिंदू पक्ष#ATVideo #Gyanvapi pic.twitter.com/eyyuZCWWTs
— AajTak (@aajtak) October 14, 2022
हाई कोर्ट जा सकता है हिन्दू पक्ष
कोर्ट के इस फैसले के बाद हिन्दू पक्ष के वकील नित्यानंद राय ने कहा कि अगर हिन्दू पक्ष चाहे तो इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जा सकता है. न्यायालय में इसके लिए विकल्प खुला है. उन्होंने कहा कि फिलहाल जहां शिवलिंगनुमा आकृति मिली है वो जगह सील ही रहेगी. नित्यानंद राय ने कहा कि शिवलिंगनुमा आकृति की कार्बन डेटिंग को खारिज किया है उसके अस्तित्व को खारिज नहीं किया है. हिन्दू पक्ष ने कहा कि कोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद हाई कोर्ट में जाएंगे.
ये टाइटल सूट का केस नहीं था
नित्यानंद राय ने कहा कि ये आवेदन सिर्फ कार्बन डेटिंग के बाबत खारिज हुआ है. नित्यानंद राय ने कहा कि ये टाइटल सूट यानी कि स्वामित्व के विवाद का निस्तारण करने के लिए नहीं था, बल्कि कार्बन डेटिंग करवाने का मसला था. ये विवाद 5 महिलाओं द्वारा 9130 रकबा, 1 बीघा, 6 बिस्सा, 9 धूर में जो भी दृश्य और अदृश्य भगवान हैं उनकी पूजा अर्चना के बाबत ये मुकदमा किया गया था.
सर्वे रिपोर्ट पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति मांगेगी कोर्ट
नित्यानंद राय ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट अब कोर्ट में आ गया है. अब कोर्ट इस मुद्दे में विपक्षी यानी कि मुस्लिम पक्ष की आपत्ति मांगेगी. वादी अपनी राय रखेगा. फिर कोर्ट ये तय करेगा कि सर्वे रिपोर्ट को अदालत में साक्ष्य के रूप में माना जाए या नहीं. अगर अदालत इसे साक्ष्य मानता है तो फिर से साक्ष्य के रूप में पढ़ा जाएगा.