ज्ञानवापी मामले में पहले भी अपनी जान को खतरा बता चुके सिविल जज रवि दिवाकर को धमकी भरी चिट्ठी भेजी गई है. उस चिट्ठी में उन्हें बुतपरस्त काफिर बताकर धमकी दी जा रही है. चिट्ठी मिलने के बाद मुख्य सचिव गृह से आरोपी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की मांग हो रही है.
अब रवि दिवाकर को ये चिट्ठी मिलना इसलिए मायने रखता है क्योंकि वे ज्ञानवापी मामले में सुनवाई कर रहे हैं. ज्ञानवापी में सर्वे वाला फैसला भी उन्होंने ही सुनाया था. ऐसे में उनका नाम लगातार चर्चा में बना हुआ है. उस समय भी सर्वे का फैसला सुनाते वक्त सिविल जज ने अपनी जान को खतरा बताया था. उस समय उन्होंने कहा था कि साधारण केस में भी डर का माहौल बनाया गया. डर इतना कि मेरे परिवार को मेरी और मुझे अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता बनी रहती है.
आजतक से बातचीत में पुलिस कमिश्नर वाराणसी ने कहा रवि कुमार दिवाकर को पहले से दी गई है घर से लेकर दफ्तर तक सुरक्षा. 9 पुलिसकर्मी हैं रवि कुमार दिवाकर और उनके परिवार की सुरक्षा में तैनात रहते हैं. ये भी बताया गया है कि डिस्ट्रिक्ट जज को भी पहले से 10 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा दी गई है.
अभी के लिए इस मामले में शिवलिंग वाले एरिया को सील कर रखा गया है. कई मौकों पर हिंदू पक्ष द्वारा वहां पर पूजा करने की अनुमति मांगी गई है, लेकिन कोर्ट ने वो इजाजत नहीं दी है. हाल ही में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी ज्ञानवापी जाने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने उन्हें वहां जाने की मंजूरी नहीं दी. उस समय अविमुक्तेश्वरानंद 71 लोगों के साथ श्रीविद्यामठ से निकलने की कोशिश में थे.
कुछ दिन पहले ही एक बयान में उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म में तो एक ही देवता को माना गया है, वे शिव हैं. जो शिव को नहीं जानता है, उनकी महिमा को नहीं समझता है, वो मूर्ती को फव्वारा ही करने वाला है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर ज्ञानवापी में भगवान शिव का शिवलिंग मिला है तो वहां पर पूजा-श्रंगार होना बहुत जरूरी है.
वैसे हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग तलाशने की जरूरत नहीं है. कुछ आस्था के केंद्र हो सकते हैं, लेकिन हर मुद्दे पर लड़ाई क्यों करनी, विवाद क्यों बढ़ाना?