वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के बाद मथुरा के विवादित ईदगाह मस्जिद परिसर को सील करने के लिए अब मथुरा अदालत में याचिका दायर की गई. हिंदू याचिकाकर्ताओं का दावा है कि अगर परिसर को सील नहीं किया गया तो गर्भगृह और अन्य पुरातात्विक मंदिर के अवशेष क्षतिग्रस्त या हटाए जा सकते हैं. अब कोर्ट तय करेगा कि इस याचिका पर सुनवाई होनी है या नहीं?
गौरतलब है कि वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद उस जगह को सील कर दिया गया है, जहां मस्जिद का वजूखाना है. ज्ञानवापी में सीलिंग की कार्यवाही के बाद अब मथुरा के ईदगाह मस्जिद में भी सीलिंग की कार्यवाही करने की मांग की गई है. इस बाबत मथुरा के सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में याचिका दायर की गई है.
हिंदू याचिकाकर्ताओं की क्या है मांग?
हिंदू याचिकाकर्ताओं ने कहा, 'ज्ञानवापी मस्जिद में जिस तरह से हिंदू शिवलिंग अवशेष मिले हैं, उससे स्थिति स्पष्ट हो गई कि वहां प्रतिवादी (मुस्लिम पक्ष) शुरू से ही इसी कारण विरोध करते रहे हैं. यही स्थिति श्रीकृष्ण जन्म भूमि की है, जो असली गर्भगृह है, वहां पर सभी हिंदू धार्मिक अवशेष कमल, शेषनाग, ऊं, स्वास्तिक आदि हिंदू धार्मिक चिन्ह व अवशेष है, जिनमें से कुछ को मिटा दिया गया है.'
हिंदू याचिकाकर्ताओं ने आगे कहा, 'अगर हिंदू अवशेषों को मिटा दिया तो करेक्टर ऑफ प्रॉपर्टी चेंज हो जाएगा और वाद का उद्देश्य व साक्ष्य खत्म हो जाएंगे. ऐसी स्थिति में वहां (ईदगाह मस्जिद) में सभी का आना-जाना प्रतिबंधित कर उस परिसर की उचित सुरक्षा की व्यवस्था की जाए या परिसर को सील किया जाए.'
हिंदू याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि शाही ईदगाह (मूल गर्भ गृह) को सील करें व परिसर के लिए सुरक्षाधिकारी नियुक्त करें और उन्हें यह निर्देश दिया जाये कि वे उक्त सम्पत्ति से बने प्राचीन हिंदू धार्मिक चिन्हों, स्वास्तिक, कमल, ऊं और अन्य कलाकृतियों को नष्ट न करें. इसके साथ ही 1 जुलाई के स्थान पर तुरंत सुनवाई करने की मांग की गई है.
ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की भी मांग
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में वादी मनीष यादव ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे ईदगाह मस्जिद का कोर्ट कमिश्नर के जरिए सर्वे कराने की मांग की थी. मथुरा कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है और मामले की सुनवाई 1 जुलाई को होगी, लेकिन हिंदू याचिकाकर्ताओं ने अब कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है.
याचिकाकर्ता मनीष यादव के वकील देवकीनंदन शर्मा का कहना था, 'ईदगाह के अंदर जो शिलालेख हैं, उन्हें दूसरे पक्ष द्वारा हटाया जा सकता है और एविडेंस को नष्ट किया जा सकता है, दोनों पक्षकारों की मौजूदगी में वहां की फोटोग्राफी कराई जाए और सभी तथ्यों को जुटाया जाए. इस मामले में अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी.'
वहीं शाही ईदगाह मस्जिद के वकील तनवीर अहमद का कहना था, 'वादी पिछले 2 वर्षों में विभिन्न प्रकार के प्रार्थना पत्र देते रहे हैं, उन्हें खुद मालूम नहीं है कि वह आखिर वह क्या कहना चाहते हैं, मथुरा में दोनों के धर्मस्थल अलग हैं, वीडियोग्राफी की कोई आवश्यकता नहीं है.' गौरतलब है कि ईदगाह मस्जिद को लेकर अब तक 10 वाद मथुरा कोर्ट में दायर है.