ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेशा आज तय करेंगे कि कौन से केस पर पहले सुनवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज दूसरे दिन भी मामले पर सुनवाई कर सकते हैं. इससे पहले सोमवार को जिला जज से दोनों पक्षों को 45 मिनट तक सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
किस याचिका पर हो पहले सुनवाई?
दरअसल, वादी हिंदू पक्ष की तरफ से जिला जज की कोर्ट से यह मांग की गई कि सर्वे के दौरान इकट्ठे किए गए साक्ष्यों को कोर्ट पहले देख ले फिर तय करे कि आगे किस तरह सुनवाई करना है. वहीं प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष मुकदमे की पोषणीयता पर ही सुनवाई कराना चाहती थी.
हिंदू पक्ष की ज्ञानवापी मस्जिद मसले पर क्या हैं मांगें
1. श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा की मांग
2. वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की पूजा की मांग
3. नंदी के उत्तर में मौजूद दीवार को तोड़कर मलबा हटाने की मांग
4. शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई जानने के लिए सर्वे की मांग
5. वजूखाने का वैकल्पिक इंतजाम करने की मांग
मुस्लिम पक्ष की क्या है मांग?
1. वजूखाने को सील करने का विरोध
2. 1991 एक्ट के तहत ज्ञानवापी सर्वे और केस पर सवाल
एक और याचिका दाखिल
वहीं, सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की पूजा की अनुमति की मांग को लेकर कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला सिविल जज से जिला कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया. कोर्ट ने कहा था कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए यह अच्छा होगा कि कोई सीनियर जज इस मामले पर सुनवाई करे, जिसे 25-30 साल का अनुभव हो.
कोर्ट तय करेगा- आगे की सुनवाई कैसे हो?
इस मामले में कोर्ट तय करेगी कि आगे सुनवाई सिर्फ सीपीसी के आदेश सात नियम 11 पर ही सीमित रहे या फिर कमीशन की रिपोर्ट और सीपीसी के 7/11 पर साथ-साथ सुनवाई हो. उपासना स्थल कानून, 1991 के आलोक में नागरिक प्रक्रिया संहिता यानी सीपीसी का आदेश सात नियम 11 किसी भी धार्मिक स्थल पर प्रतिदावे को सीधे अदालत में ले जाने से रोकता है. यानी किसी धार्मिक स्थल की प्रकृति और स्थिति को बदलने की अर्जी सीधे अदालत में में दी जा सकती है. यानी वो अर्जी सुनवाई योग्य ही नहीं होगी, लेकिन ये कानून और सीपीसी का नियम किसी धार्मिक स्थल की प्रकृति और स्थिति की पहचान के लिए कोई जांच, कमीशन का गठन या सर्वेक्षण कराने से नहीं रोकता है. अगर किसी कमीशन की सर्वेक्षण रिपोर्ट से विवादित धार्मिक को लेकर दावेदार पक्ष के दावे की तस्दीक कर दी और अदालत ने उसे मान लिया तो अदालत उसे आगे भी सुनेगी.