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हाशिमपुरा दंगा मामला: यूपी PAC के 4 जवानों ने किया सरेंडर, 11 के खिलाफ वॉरंट जारी

हाशिमपुरा में यूपी पीएससी के जवानों ने 2 मई 1987 को 42 मुस्लिमों की हत्या कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मामला दिल्ली ट्रांसफर किया गया और उसके बाद तीस हजारी कोर्ट में इसकी लंबी सुनवाई चली.

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फाइल फोटो (इंडिया टुडे आर्काइव)
फाइल फोटो (इंडिया टुडे आर्काइव)

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हाशिमपुरा दंगा मामले में यूपी पीएसी के 4 जवानों ने दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में गुरुवार को सरेंडर कर दिया. कोर्ट ने बाकी बचे आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया है. पीएसी के जवानों ने स्मिता गर्ग के कोर्ट में सरेंडर किया. 16 दोषियों में जिन 4 जवानों ने सरेंडर किया उनके नाम हैं-निरंजन लाल, महेश, समीउल्ला और जयपाल. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने चारों को तिहाड़ जेल में भेज दिया.

गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने हाशिमपुरा नरसंहार पर सभी सोलह जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी जिसमें से एक की मौत हो चुकी है. बाकी पंद्रह में 4 ने गुरुवार को सरेंडर किया. यूपी में हाशिमपुरा नरसंहार की घटना 1987 की है. इस घटना के आरोपियों को पिछले महीने ही दोषी ठहराया गया था. गुरुवार को तीस हजारी कोर्ट में सरेंडर करने की आखिरी तारीख थी.

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क्या है पूरा मामला?

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाशिमपुरा नरसंहार पर सभी सोलह जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी जिसमें एक की मृत्यु हो चुकी है. बाकी पंद्रह को गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सरेंडर करना था.

हाशिमपुरा में यूपी पीएससी के जवानों ने 2 मई 1987 को 42 मुस्लिम युवकों की हत्या कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मामला दिल्ली ट्रांसफर हो गया था और उसके बाद तीस हजारी कोर्ट में इसकी लंबी सुनवाई चली थी लेकिन तीस हजारी कोर्ट से पीएसी के सभी जवान बरी हो गए. उसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा. दिल्ली हाईकोर्ट ने तीसहजारी कोर्ट के फैसले को पलटते हुए पीएससी के 16 जवानों को दोषी करार दे दिया.

हाई कोर्ट ने इन सभी को उम्र कैद की सजा सुनाई और इन पर 10 हजार का जुर्माना भी लगाया. दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश को सुनाते ही इस मामले में सभी को मिली जमानत रद्द हो गई और कोर्ट ने उन सभी को 22 नवंबर को कोर्ट के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया.

दरअसल दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने साल 2015 में आरोपी सभी 19 पीएससी जवानों को बरी कर दिया था. जिसमें 3 की मौत हो चुकी है. निचली अदालत ने माना था कि हत्या तो हुई है लेकिन ये साबित नहीं हो पाया कि हत्या में ये जवान ही शामिल हैं.

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