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सहारनपुर के गांवों में खेला जा रहा नफरत का खेल

नए-नए गांवों में हिंसा का खेल रचा जा रहा है, जिससे माहौल वहां भी बिगड़े जहां सौहार्द है. ताकि तोहमत शासन और प्रशासन पर लग़ा कर अपनी सियासत के दाग छुपाए जा सकें.

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गांवों है जारी है तनाव
गांवों है जारी है तनाव

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सहारनपुर में नफरत और हिंसा का दौर जारी है. बुधवार को हिसा का शिकार हुआ एक युवक प्रदीप. अपने गांव आसनवाली से प्रदीप अपनी बाइक पर सवार होकर सहारनपुर जा रहा था. उसे अपनी परचून की दुकान के लिए माल लाना था. दोपहर के सवा बज चुके थे. आसनवाली से करीब सात किलोमीटर ही पहुंचा था कि पीछे से किसी ने पीठ में गोली मारी. खून के फव्वारे छूटे और प्रदीप बेहोश हो गिर पड़ा.

एक अजनबी अरविंद नामक युवक ने प्रदीप को सहारनपुर ज़िला अस्पताल पहुंचाया. उसी ने घर वालों को खबर दी. जिला अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिये तो प्रदीप को लेकर घर वाले चंडीगढ़ भागे.

बड़ा सवाल यह की प्रदीप क्यों बना निशाना? क्या उसकी पहचान मोटरसाइकिल पर लगे राणाप्रताप समारोह के स्टिकर से की गई. प्रदीप के घरवालों का सीधा आरोप भीम सेना पर है. हालांकि प्रदीप के घर परिवार वालों की मिजाजपुर्सी के लिए दलित समुदाय के लोग भी बड़ी तादाद में आ रहे हैं. आसनवाली में वो फॉर्मूला बिल्कुल नहीं फिट बैठता दिखता जिसके आधार पर कुछ गांवों में नफरत का गणित सिखाया जा रहा है.

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यानी नए-नए गांवों में हिंसा का खेल रचा जा रहा है, ताकि माहौल वहां भी बिगड़े जहां सौहार्द है. ताकि तोहमत शासन और प्रशासन पर लग़ा कर अपनी सियासत के दाग छुपाए जा सकें.

गौरतलब है कि सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में महाराणा प्रताप शोभायात्रा के दौरान हुए एक विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था. इसके बाद विशेष जाति पर दलितों के साथ अत्याचार करने और उनके घर जलाने का मामला सामने आया था. इस मामले में भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. इसके बाद बीते रविवार को भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचकर प्रदर्शन किया था.

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