हाथरस में प्रशासनिक लापरवाही के बाद एकतरफ कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं. एसपी को सस्पेंड किए जाने पर आईपीएस एसोसिएशन के सवाल खड़ा करने के बाद पूर्व डीजीपी एके जैन ने भी यही बात दोहराई है.
पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा कि गलती सिर्फ आईपीएस या फिर पुलिस महकमे की कैसे है? जबकि सारे फैसले लेने में हाथरस के डीएम बराबर के हिस्सेदार हैं. शव जलाने की बात हो या फिर दूसरे फैसलों की, यह सब कुछ बगैर डीएम की सहमति के नहीं हो सकता. इस पूरे मामले में कार्रवाई दोनों पर होनी चाहिए थी.
पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री को सही चीज में बताई जानी चाहिए थी. DGP को सही स्थिति से मुख्यमंत्री को अवगत कराना चाहिए था, हमने भी अपने दौर में ऐसे कई मामले देखे हैं जब रात में या तो पोस्टमार्टम कराना पड़ा है या फिर शव जलाने पड़े हैं लेकिन यह सब कुछ पूरे प्रशासन का फैसला होता था. ऐसा कैसे हो गया कि कार्रवाई सिर्फ एक तरफा हो रही है.
उन्होंने कहा कि यह पहला वाकया नहीं है. इससे पहले भी महोबा में कहा यह गया था कि डीएम भी 5 लाख रुपये महीना लेता है. लेकिन कार्रवाई सिर्फ एसपी पर की गई जबकि डीएम को स्पेशल सेक्रेटरी बनाकर मुख्यालय में लाया गया. ऐसे नहीं हो सकता. योगी आदित्यनाथ कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार मुख्यमंत्री हैं उन्हें सही स्थिति से अवगत कराया जाना चाहिए.
बता दें कि हाथरस के मामले में सिर्फ पुलिस अधिकारियों पर हुई कार्रवाई से आईपीएस एसोसिएशन नाराज है. एसोसिएशन का कहना था कि एकतरफा कार्रवाई सिर्फ पुलिस वालों पर की गई है जबकि जिम्मेदारी पूरे प्रशासन पर तय होनी चाहिए.