यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए धर्मस्थलों से लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. ऐसे में मौलानाओं में इस आदेश के पालन को लेकर दुरुपयोग की आशंका भी है.
दारुल इफ्तार मंजरे इस्लाम बरेली के मुफ्ती सैयद कफील हाशमी का कहना है, 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किसी तरह की टीका-टिप्पणी करना मुनासिब नहीं है. लेकिन कोर्ट के आदेश के पालन की प्रक्रिया के दौरान अधिकारी बेवजह परेशान कर सकते हैं, क्योंकि पहले भी इस तरह की चीजें हुई हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'सुप्रीम कोर्ट को दो से तीन मिनट के लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर इस आदेश से बाहर रखा जाना चाहिए था, चाहे वह हिंदू धर्म का मामला हो या फिर किसी और धर्म का.'
अल इमाम वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष इमरान हसन सिद्दिकी कहते हैं, 'कोर्ट ने अपने आदेश में ध्वनि प्रदूषण की बात कही है, लेकिन माइक या लाउडस्पीकर से कहीं ज्यादा ध्वनि प्रदूषण तो गाड़ियो के हॉर्न से होता है. क्या मान लिया जाए कि कल से सड़क से सभी गाड़ियों को हटा दिया जाएगा?'
उन्होंने आगे कहा, 'कोर्ट के आदेश में धार्मिक स्थलों पर बजने वाले लाउडस्पीकरों पर लगे प्रतिबंध में मुसलमानों की एक नमाज आती है. यह फजर की नमाज (सुबह छह बजे से पहले वाली नमाज है), लेकिन कई धर्म के कार्यक्रमों में तो कई घंटों और पूरी रात लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता है. लेकिन सिर्फ अजान को ही निशाना बनाया जा रहा है, जो उचित नहीं है.'
सिद्दिकी ने कहा, 'लाउडस्पीकर द्वारा दो से तीन मिनट की मस्जिदों की दी जाने वाले अजान से इतना प्रदूषण नहीं फैलता, जितना दूसरी चीजों से. इसके बावजूद अगर इस्लाम कहता है कि अगर हमारी वजह से किसी को तकलीफ होती है तो वह मत करो. इसलिए हम इसे संज्ञान में लेंगे.'
इस मामले पर मौलाना तौकीर रजा ने कहा है, 'कोर्ट का आदेश सभी धर्मों के लिए है, किसी खास धर्म को निशाना नहीं बनाया गया है. मस्जिदों में तो हमेशा से ही इजाजत लेकर लाउडस्पीकर लगाए जाते हैं. जहां तक सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों की बात है तो उनमें भी इजाजत के बाद ही लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता आया है.'
वहीं, तंजीम उलेमा ए हिंद के प्रदेशाध्यक्ष मौलाना नदीम उल वजीदी ने कहा है कि मस्जिदों में तो केवल 2-3 मिनट तक अजान की जाती है, लेकिन मंदिरों में कई घंटों तक लाउडस्पीकर चलते रहते हैं. उन्होंने कहा कि योगी सरकार के पास विकास का कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के मुददे छेडे जाते हैं.