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अयोध्या मामले से जुड़े जज, वकील आतंकी निशाने पर, बढ़ेगी सुरक्षा

हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र व राज्य सरकार को अयोध्या मामले में 30 सितंबर 2010 को फैसला सुनाने वाले तीनों जज समेत मामले की पैरवी करने वाले वकीलों की सुरक्षा व्यवस्था तत्काल कड़ी करने को कहा है.

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फाइल फोटो: राम जन्मभूमि का इलाका
फाइल फोटो: राम जन्मभूमि का इलाका

हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र व राज्य सरकार को अयोध्या मामले में 30 सितंबर 2010 को फैसला सुनाने वाले तीनों जज समेत मामले की पैरवी करने वाले वकीलों की सुरक्षा व्यवस्था तत्काल कड़ी करने को कहा है.

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न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने इन जजों व वकीलों की सुरक्षा मामले संबंधी लंबित पीआईएल का निपटारा कर फैसले में ये आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने फैसले में आईबी की रिपोर्ट का हवाला देकर कहा गया कि सिमी कार्यकर्ताओं ने साजिश को अंजाम देने को इंडियन मुजाहिदीन से हाथ मिला लिया है. ऐसे में न सिर्फ तीनों संबंधित न्यायाधीशों को बल्कि मामले से जुड़े वकीलों को भी गंभीर खतरा बना हुआ है.

वहीं, सूबे के एडीजी सुरक्षा की रिपोर्ट में भी ऐसी ही आशंका जताई गई. आतंकियों ने अपने मंसूबे को अंजाम देने के लिए हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ की रेकी भी की थी. साथ ही केस की पैरवी करने वाले वकीलों के लिए भी गंभीर खतरे का पता चला. इस पर कोर्ट ने आईबी व सूबे के एडीजी (सुरक्षा) से मामले में रिपोर्ट तलब की थी, जिसे अदालत के समक्ष पेश किया गया. कोर्ट ने पेश की गई रिपोर्ट देखने व सुनवाई के बाद फैसला सुनाने वाली बेंच के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल को जेड प्लस तो न्यायमूर्ति एसयू खां व अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा को जेड श्रेणी की सुरक्षा देने के निर्देश केंद्र व राज्य सरकार को दिए.

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अदालत ने साफ किया कि सुरक्षा व्यवस्था न्यायाधीशों के रिटायर होने के बाद भी बनी रहेगी और बगैर उसकी इजाजत के इसे वापस नहीं लिया जाएगा. सुरक्षा इंतजामात को लेकर राज्य सरकार जरूरी सहयोग देगी. केंद्र व राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के बीच सुरक्षा को लेकर जरूरी सलाह-मशविरा किया जाएगा. कोर्ट ने मामले की निगरानी व कार्रवाई की रिपोर्ट केंद्र व राज्य सरकार को 15 जनवरी को पेश करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही इस आदेश की कॉपी केंद्र सरकार के गृह सचिव प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह समेत पश्चिम बंगाल के प्रमुख सचिव को भेजने के निर्देश लखनऊ बेंच के रजिस्ट्रार को दिए.

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