यूपी पंचायत चुनाव के दौरान परिषदीय विद्यालय के शिक्षक कोरोना की चपेट में आ गए थे. कोविड से संक्रमित होकर कई शिक्षकों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी. सरकार ने बाद में इन शिक्षकों को मुआवजा देने के लिए कहा था. लगभग 30 लाख रुपये की राशि कोविड के संक्रमण से मरने वाले शिक्षकों को मिलनी थी. जौनपुर जिले के भी कई शिक्षकों की भी कोविड की चपेट में आने से मौत हो गई थी. इन्हीं में से एक शिक्षक डॉ. सभाजीत यादव भी थे. वह जौनपुर के जूनियर हाईस्कूल जप्टापुर में बतौर प्रधानाध्यापक नियुक्त थे. मौत के कई महीनों के बाद भी उनके परिवार वालों को मुआवजा नहीं मिला है, जिससे वह काफी परेशान हैं.
ट्रेनिंग के बाद बिगड़ने लगी तबीयत, बाद में हो गई मौत
पंचायत चुनाव में डॉक्टर सभाजीत यादव की ड्यूटी लगी थी. पंचायत चुनाव के संदर्भ में हुई ट्रेनिंग में शिरकत लेने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. इस दौरान परिवार वालों ने उनकी कोविड जांच भी कराई. इस एंटीजन टेस्ट में वह कोरोना पॉजिटिव आये थे. उपचार के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई. सभाजीत यादव के निधन के बाद उनकी संतानों के सर से पिता का साया हट गया. पिता की मृत्यु के बाद से परिवार सदमे में आ गया. 3 बेटी और 2 बेटों की जिम्मेदारी बीमार मां पर आ गयी. बड़ी बेटी दीप्ति यादव बीएससी बीटीसी करने के बाद टीईटी पास कर लिया है और इलाहाबाद में तैयारी कर रही है. वहीं दूसरे नंबर की बेटी सृष्टि कोटा से नीट की तैयारी कर रही है. इस साल बनारस आ गई सबसे छोटी बेटी दिशा बायोलॉजी से इंटर करने के बाद डॉक्टर बनने का ख्वाब देख रही है. वहीं बड़ा बेटा देवांश विक्रम मैथ से बीएससी कर रहा है और छोटा बेटा शिवांश विक्रम कक्षा 7 में पढ़ रहा है.
बच्चों को अंधकार में दिख रहा जीवन
पिता की मौत के बाद इन बच्चों को अपना जीवन अंधकार में दिख रहा है, लेकिन अपनी मां के लिए और पिता के सपनों को पूरा करने के लिए बच्चे दृढ़ संकल्पित दिख रहे हैं. डॉ. सभाजीत यादव अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना चाहते थे. वह चाहते थे कि उनकी बड़ी बेटी शिक्षिका बने. अपनी बीच वाली बेटी को उन्होंने डॉक्टर बनाने के सपने के साथ कोटा भेजा था. बाकी तीनों बच्चे में बड़ा लड़का अभी कॉलेज में है और एक छोटी लड़की ने अभी इंटर की परीक्षा पास की है.
अब तक नहीं मिला परिवार को मुआवजा
पिता की मौत के बाद से परिवार सदमे में है. जिन बेटी के सपनों को लेकर पिता उन्हें दिशा-निर्देश देते थे वह अब नहीं रहे. ऐसे में बेटियों को रास्ता दिखाने वाला कोई बचा नहीं. लेकिन बड़ी बात यह है कि अभी तक उनके परिवार को मुआवजा नहीं मिल पाया है. उनकी बेटी सृष्टि बताती हैं कि वह कई बार जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा विभाग जौनपुर के चक्कर काट चुकी हैं. मुआवजा के लिए आवेदन करते वक्त फॉर्म में गड़बड़ी हो गयी थी. सुधार कर के उन्होंने दोबारा भेज दिया लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. वह कहती हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज की है लेकिन इसके बावजूद वह मुआवजे के लिए दर-दर भटक रही हैं.
'पिता की मृत्यु से मां रहती हैं परेशान'
वहीं, उनकी बड़ी बेटी दीप्ति का कहना है कि उनकी मां की तबीयत खराब रहती है. पिता की मृत्यु के बाद से मां भी परेशान रहती हैं. छोटी बहनों को तैयारी कराना है और उनकी पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा भी है. ऐसे में वह सरकार से मांग करते हैं कि उन्हें भी मुआवजा राशि जल्द प्रदान कर दीजिए. सबसे छोटी बेटी दिशा का कहना है कि उनके पिता ने अपने बच्चों को पैरों पर खड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की. परिषदीय विद्यालयों में वह पूरी मेहनत के साथ पढ़ाते थे.
बिना पिता और पति के इस परिवार का जीवन कठिन हो चला है. मकान बनवाने के लिए डॉ. सभाजीत यादव ने लोन ले रखा था. इसके अलावा अभी तीन बेटियों की शिक्षा भी पूरी होनी है. बेटी सृष्टि नीट की तैयारी कर रही है. उसके आगे का भविष्य भी अधर में है. बड़ी बेटी की शादी भी है. ऐसे में परिवार के सामने बड़ी समस्याएं हैं. लेकिन मुआवजा ना मिलने के कारण परिवार आर्थिक रूप से टूट चुका है. बेटी बार बार मुआवजा के लिए बार बार न्याय की गुहार लगा रही है.
(रिपोर्ट : राज कुमार सिंह)