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साइकिल से 9 देशों की यात्रा करने जा रहे हीरालाल की अनोखी कहानी

धरती को बचाने के लिए यूपी के हीरालाल यादव साइकिल से भारत समेत सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, लाओस, वियतनाम, म्यांमार और बांग्लादेश की यात्रा पर निकलेंगे. अपनी साइकिल को उन्होंने 'पृथ्वी बचाओ अभियान' नाम दिया है. गोरखपुर जिले के सिधारी गांव के रहने वाले 58 वर्षीय हीरालाल आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वर्ष 1981 में मुंबई चले गए और तब से परिवार सहित वहीं रह रहे हैं. हीरालाल इससे पहले साइकिल यात्रा के जरिए वह पूरे देश में 'संवेदना जागृति अभियान' चला चुके हैं.

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धरती को बचाने के लिए यूपी के हीरालाल यादव साइकिल से भारत समेत सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, लाओस, वियतनाम, म्यांमार और बांग्लादेश की यात्रा पर निकलेंगे. अपनी साइकिल को उन्होंने 'पृथ्वी बचाओ अभियान' नाम दिया है.

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गोरखपुर जिले के सिधारी गांव के रहने वाले 58 वर्षीय हीरालाल आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वर्ष 1981 में मुंबई चले गए और तब से परिवार सहित वहीं रह रहे हैं. हीरालाल इससे पहले साइकिल यात्रा के जरिए वह पूरे देश में 'संवेदना जागृति अभियान' चला चुके हैं. अपनी यात्रा के दौरान वह लोगों को भाईचारा बनाए रखने, बेटियों को बचाने, नशे से दूर रहने और शहीदों का सम्मान करने जैसे संदेश देते हैं.

संवेदना जागृति अभियान के तहत भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा दुनिया के कई देशों में अब तक एक लाख किलोमीटर से अधिक साइकिल यात्रा कर चुके हीरालाल यादव ने अपनी यात्रा के अनुभव और उद्देश्य साझा किए.

UP के सीएम ने दिए पांच लाख
अपने अनोखे प्रयास से 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' और 'पर्यावरण युक्त-नशा मुक्त भारत' का संदेश जन-जन तक पहुंचाने वाले हीरालाल को यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने बीते मंगलवार को पांच लाख रुपये देकर आर्थिक मदद की थी. हीरालाल ने अपने अभियान के बारे में बताया, 'जम्मू से चला हूं और कन्याकुमारी तक जाना है. इसके बाद लखनऊ से लाहौर तक पर्यावरण सद्भावना यात्रा और सिंगापुर से भारत तक पृथ्वी बचाओ अभियान के तहत साइकिल चलाने की इच्छा है.'

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उन्होंने यूपी के सीएम से अपील की है कि कि सूबे में लखनऊ के अलावा अन्य शहरों में भी साइकिल ट्रैक बनाया जाए और प्रदेश के सभी स्कूलों में लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाए.

हीरालाल ने बताया कि जब उनका बेटा साढ़े तीन साल का था, तो उसने एक बार उन्हें सिगरेट पीते देख लिया था. कुछ समय बाद उन्हें अपने पड़ोसी से पता चला कि उनका बेटा भी सिगरेट पीने लगा है. इसके लिए उन्होंने खुद को जिम्मेदार माना और तत्काल सिगरेट पीना छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने औरों को भी नशे से दूर रहने के लिए जागरूक करने की ठान ली.

पूर्व राष्ट्रपति कलाम कर चुके हैं सम्मानित
हीरालाल ने पहली बार वर्ष 1997 में साइकिल यात्रा कर संवेदना जागृति अभियान शुरू किया था. इसके तहत वह 'नशा मुक्त भारत' का संदेश लिख पोस्टरों को साइकिल पर चिपकाकर देश के विभिन्न राज्यों की यात्रा पर निकल पड़े. अब तक वह 14 साइकिल यात्राएं पूरी कर चुके हैं. जम्मू से वह पांच फरवरी को कन्याकुमारी के लिए निकले, इन दिनों वह अपने प्रदेश से गुजर रहे हैं. यह उनकी पंद्रहवीं यात्रा है.

हीरालाल के हैरतअंगेज कारनामे के लिए 29 जुलाई 2013 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें सम्मानित किया था. मुंबई की साउथ इंडियन एजुकेशन सोसाइटी की ओर से आयोजित एक समारोह में हीरालाल को एक लाख रुपये की आर्थिक मदद भी की गई थी. योगगुरु बाबा रामदेव समेत देश की तमाम हस्तियां भी हीरालाल के प्रयास की तारीफ कर चुकी हैं.

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बकौल हीरालाल, फिल्मी दुनिया के कई निर्देशकों ने उनसे फिल्मों में भी काम करने का न्योता दिया, लेकिन उन्होंने उसे बड़ी सहजता से अस्वीकार कर दिया. हीरालाल वर्ष 1991 में किडनी की बीमारी से ग्रसित हो गए थे, फिर भी उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई. उन्होंने कहा कि यदि इंसान में इच्छा शक्ति हो तो उसे उसके मिशन से कोई डिगा नहीं सकता.

- इनपुट IANS

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