झारखंड के गिरिडीह का कृष्णदेव अपने सुहाने सपनों और कई सारी मनोकामनाओं के साथ राम की नगरी अयोध्या पहुंचा था. उसे उम्मीद थी कि मर्यादा पुरुषोत्तम की चरणों की धूल उसके जीवन को बेहतर बनाएगी और अच्छे दिन लेकर आएगी, लेकिन शनिवार को रेलवे स्टेशन के पास बेसुध कृष्णदेव की हालत कुछ और ही कहानी बयान करती है. सिर पर लाल गमछा लपेटे कृष्णदेव आज चुपचाप बैठा हुआ है, अफसोस कि वह अब जीवन में उम्मीद की किरण को एकटक निहार भी नहीं सकता.
कृष्णदेव की आंखों के सामने अब घना अंधेरा है. दूर कहीं से न्याय की आहट तो सुनाई देती है, लेकिन उसके इंतजार में वह अपनी पलकें भी नहीं बिछा सकता. फैजाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के बीसिंह के मुताबिक, कुछ बदमाशों ने कृष्णदेव की आंखें निकालकर उसे लावारिस हालत में बेसुध फेंक दिया. पीड़ित को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. सिंह ने बताया कि मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर को भी निलंबित कर दिया गया है. मामले की जांच के लिए अपराध शाखा की एक टीम बनाई गई है.
बताया जाता है कि तीर्थ के लिए कृष्णदेव अयोध्या गए थे, जहां से लौटते वक्त कुछ लोगों ने उन्हें गाड़ी में लिफ्ट दी थी. थोड़ी देर बाद बदमाशों ने धोखे से कृष्णदेव को बेहोश कर दिया और उनकी आंखें निकालकर सड़क पर फेंक दिया. स्थानीय पुलिस की मदद से कृष्णदेव वापस अपने घर गिरीडीह तो पहुंच गए, लेकिन पुलिस के पास आरोपियों का कोई सुराग नहीं है. इस पूरी घटना ने इलाके में मानव अंग तस्करों के गिरोह के सक्रिय होने की पुष्टि भी कर दी है, लिहाजा पुलिस विशेष सर्तकता बरत रही है.