scorecardresearch
 

यूपी में एंबुलेंस सेवा को लेकर हाई कोर्ट सख्त, योगी सरकार से मांगा जवाब

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने भारतीय मजदूर संघ की जनहित याचिका पर दिया है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि राज्य सरकार ने प्रदेश में आपातकालीन चिकित्सा परिवहन सेवाएं प्रदान करने के लिए लगभग 4515 एम्बुलेंस वाहन खरीदे थे.

Advertisement
X
सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी में एंबुलेंस सेवा को लेकर हाई कोर्ट सख्त
  • भारतीय मजदूर संघ की जनहित याचिका पर सरकार से मांगा जवाब

उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस सेवा को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार से पूछा है कि एंबुलेंस 108 और 102 में पर्याप्त संख्या में चालक, कर्मचारी और सुविधाएं मुहैया कराई गई है या नहीं. साथ ही  इस संबंध में उठाये गये कदमों की विस्तृत जानकारी भी मांगी है.

Advertisement

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने भारतीय मजदूर संघ की जनहित याचिका पर दिया है.

याचिकाकर्ता ने कहा है कि राज्य सरकार ने प्रदेश में आपातकालीन चिकित्सा परिवहन सेवाएं प्रदान करने के लिए लगभग 4515 एम्बुलेंस वाहन खरीदे थे.

इन एम्बुलेंस को सुचारू रूप से चलाने के लिए राज्य सरकार ने सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ एक समझौता किया था, जिसका उद्देश्य केंद्रीकृत कॉल सेंटर के माध्यम से एंबुलेंस चलाने के लिए चालक और तकनीकी कर्मचारी देना भी था.

याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 का संक्रमण बढ़ने पर 24 घंटे एंबुलेंस स्टाफ की आवश्यकता हो सकती है. ऐसे में प्रतिदिन 102 और 108 एंबुलेंस चलाने के लिए आठ घंटे की शिफ्ट के हिसाब से लगभग 27090 ड्राइवरों और तकनीकी कर्मचारियों की आवश्यकता है जबकि सर्विस प्रोवाइडर कंपनी केवल 6000 ड्राइवर और टेक्नीशियन को ही काम पर रखती है.

Advertisement

याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा ने कहा कि दूसरी लहर के दौरान कई एंबुलेंस चालक संक्रमित हो गए और उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारंटीन होना पड़ा. यदि ऐसी स्थिति फिर आती है तो राज्य सरकार और सेवा प्रदाताओं को प्रदेश में उचित एंबुलेंस सेवा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी सुनिश्चित करना चाहिए.

याचिका में मांग की गई कि प्रत्येक एंबुलेंस के लिए कम से कम तीन ड्राइवर और तीन तकनीकी कर्मचारी की आठ घंटे की नियमित शिफ्ट होनी चाहिए क्योंकि आठ घंटे से अधिक की किसी भी शिफ्ट के कारण दुर्घटना का खतरा बढ़ जाएगा.

ये भी पढ़ें:


 

Advertisement
Advertisement