IAS दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी करके मामले पर 19 अगस्त तक जवाब देने को कहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर की रिट याचिका पर सुनवाई करने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने IAS दुर्गा ने राज्य सरकार से निलंबन से जुड़े सभी दस्तावेज भी मांगे हैं.
गौरतलब है कि दिल्ली से सटे गौतम बुद्ध नगर से तेज तर्रार महिला एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को सोमवार को यूपी सरकार ने सस्पेंड कर दिया था. उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक दुर्गा नागपाल ने एक धार्मिक स्थल की दीवार गिरा दी थी जिसके बाद इलाके में माहौल बिगड़ने का खतरा बढ़ गया था. इस वजह से उन्हें निलंबित किया गया था.
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक स्थानीय नेता नरेंद्र भाटी ने समाजवादी पार्टी हाईकमान से शिकायत की जिसके बाद शनिवार देर रात दुर्गा को सस्पेंड कर दिया गया. माना जा रहा है कि इस पूरी कार्रवाई के पीछे अवैध खनन के खिलाफ चलाई गई दुर्गा नागपाल की मुहिम ही है, क्योंकि सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर खनन का काम नरेंद्र भाटी के लोग ही कर रहे थे और वो इस कार्रवाई से चिढ़े हुए थे.
इस खबर मुहर तब लग गई जब यूपी एग्रो कॉरपोरेशन के चेयरमैन नरेन्द्र भाटी का एक वीडियो सामने आया. इस वीडियो में नरेंद्र भाटी को यह कहते देखा जा सकता है कि उन्होंने ही सिर्फ 41 मिनट में दुर्गा को सस्पेंड कराया है.
भाटी ने कहा, 'मेरी माननीय मुलायम सिंह जी से बात हुई है. फिर माननीय अखिलेश जी से 10 बज कर 30 मिनट पर बात हुई है और फिर 11 बज कर 11 मिनट पर एसडीएम का सस्पेंशन ऑर्डर यहां कलेक्टर के पास रिसीव हो गया. यह है लोकतंत्र की ताकत. मैं आपको बताना चाहता हूं कि जिस औरत ने यहां इतनी बेहूदगी की वो उसे 40 मिनट भी नहीं झेल पाई.'
वीडियो सामने आने के बाद नरेंद्र भाटी अपने बयान से पलट गए हैं. वे सारा आरोप मीडिया पर मढ़ रहे हैं. उनके कहा, 'मीडिया ने मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया है. मैंने दुर्गा नागपाल के लिए अपशब्द के प्रयोग नहीं किए हैं.'