उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को बड़ा फैसला लेते हुए चाचा शिवपाल यादव को कैबिनेट से बाहर कर दिया. अखिलेश ने शिवपाल समेत चार मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया. उसके बाद शिवपाल ने भी कार्रवाई करते हुए अखिलेश के करीबी रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. पूरे घटनाक्रम के बाद शिवपाल का कहना है कि वो अब वो अखिलेश के साथ कभी काम नहीं करेंगे.
अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' को दिए इंटरव्यू में शिवपाल यादव ने कहा कि 2017 में सपा के सत्ता में आने के बाद भी मैं अब अखिलेश सरकार में बतौर मंत्री काम नहीं करूंगा. अखिलेश ने कुछ दिनों पहले भी शिवपाल को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था, लेकिन बाद में उन्हें फिर से मंत्री पद दिया गया.
शिवपाल यादव पूरे मामले पर भावुक नजर आए, उन्होंने पार्टी में अपने संघर्ष और अखिलेश के बचपन के दिनों को याद किया. उन्होंने बताया कि वह बचपन में अखिलेश को 'टीपू' कहकर पुकारते थे. उन्होंने ये भी बताया कि मैं जानता हूं कुछ दिनों से अखिलेश मुझे पार्टी से निकालने का मौका ढूंढ रहे थे. मैंने इस बारे में अपने परिवार और करीबी लोगों से बात भी की थी. मुझे पता लग गया था कि अखिलेश अपना मन बना चुके हैं. हालांकि इसका कोई कारण नहीं था.
ऐसा माना जा रहा है कि शिवपाल की पार्टी से छुट्टी होने के पीछे का कारण उनकी अमर सिंह से नजदीकियों को बताया जा रहा है. जिस पर शिवपाल ने कहा कि मैं अखिलेश को चुनौती देता हूं कि वह बताए कि मैंने कब अमर सिंह का पक्ष लिया या उनके समर्थन में कोई बात की. मैं तो उनसे बात तक नहीं करता पिछले महीने में केवल एक बार मेरी उनसे बात हुई है. क्या ये अपराध है. मैं तो केवल उनका आदर करता हूं. क्योंकि नेताजी से उनके पुराने संबंध हैं. हमने उनसे ही संबंधों को घनिष्ठ करना सीखा है. मैं एहसान फरामोश नहीं हूं.