टिकट वितरण और पार्टी के भीतर नेताओं की नाराजगी का क्या रास्ता निकाला गया? अगर जरूरत पड़ी तो निगोशिएशन के क्या आधार रहे? यूपी प्रभारी रहे अमित शाह के आने के पहले और बाद में यूपी में बीजेपी में क्या बदलाव आया? उनकी भूमिका क्या रही? पॉलिसी इश्यू पर दूसरे पार्टियों को कैसे पीछे छोड़ा गया? मोदी-शाह फैक्टर के अलावा और क्या प्रभावी मुद्दे थे? पार्टी में क्या कोई शाह का विरोधी था? मुरली मनोहर जोशी विवाद का कैसे निकला हल और दूसरी पार्टियों ने कहां की गलती? ये वे सवाल हैं जिनका जवाब जानने में आईआईएम लखनऊ के स्टूडेंट लगे हुए हैं.
दरअसल लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी की ऐतिहासिक विजय का सूत्र आईआईएम भी तलाश रहा है. पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम (पीजीपी) फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स ने खास तौर पर ऑर्गनाइजेशनल बिहैवियर के अंतर्गत इस टॉपिक को रिसर्च के लिए चुना है. दो सप्ताह में इस रिसर्च की रिपोर्ट आईआईएम को सौंपी जाएगी.
आईआईएम में पीजीपी फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट अंकित बताते हैं कि ऑर्गनाजेशनल बिहैवियर के अंतर्गत हम कंपनी या इंस्टीट्यूशंस पर स्टडी करते हैं. इस बार हमने किसी आईटी या दूसरी कंपनी की जगह यूपी बीजेपी को अपना सब्जेक्ट बनाया है. बीजेपी ने यूपी में जो शानदार प्रदर्शन किया है, ऐसे में इसके संगठनात्मक स्वरूप के बारे में जानना दिलचस्प होगा. इसलिए नौ स्टूडेंट्स का ग्रुप इस विषय पर काम कर रहा है.