यूपी पुलिस और अखिलेश प्रशासन को शर्मसार करने वाली एक और घटना सामने आई है. एक छात्रा का पहले अगवा कर गैंगरेप किया गया और फिर जब इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाई गई तो डॉक्टर ने पीड़िता को ही जड़ दिया थप्पड़.
घटना 27 अप्रैल की है. इलाहाबद के ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की को कॉलेज की गेट से अगवा किया गया, फिर 5 घंटे तक चार लोगों ने उससे सामूहिक बलात्कार किया. इसके बाद लड़के उसे संगम के पास चुंगी चौराहे के नजदीक फेंककर चले गए.
बदहवास बेहोश हालत में मिली इस युवती को परिजनों ने पहले एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया जिसके बाद लड़की को मेडिकल के लिए शहर के सरकारी महिला अस्पताल में भेजा गया.
लेकिन इस लड़की से बदसलूकी का सिलसिला यहीं नहीं थमा. जब इसे अस्पताल लाया गया तो डॉक्टर इलाज की बजाए उल्टे इस लड़की को ही झूठा साबित करने में जुट गई. बौखलाहट इस कदर थी कि डॉक्टरों ने इसकी पिटाई भी कर दी.
लड़की और उसके परिजनों का आरोप है की अस्पताल में सरकारी महिला डाक्टर ने उसे पीटा, थप्पड़ मारे और कहा की वह नाटक कर रही है लिहाजा रेप का बयान न दे. पुलिस भी प्रताड़ना में डाक्टरों से एक कदम आगे निकली और उसने एक आरोपी को हिरासत में लेने के बाद बाकी आरोपियों को पकड़ने में ज्यादा रुचि नहीं दिखलाई.
पुलिस पहले तो बलात्कार की बात मानने से ही इनकार कर दी, फिर जब मुद्दे ने तूल पकड़ा तो चंद घंटों में सुर बदल गए. मीडिया में खबरों के आने के बाद पुलिस ने दूसरी गिरफ्तारी की और उधर अस्पताल प्रशासन पीड़िता को थप्पड़ मारने की बात से इंकार कर रहा है.
लड़की के हालत ऐसे नहीं कि ठीक से बोल भी पाए, लेकिन फिर भी जब जुबान खुली तो दिल में भरी बदले की भावना फूट पड़ी. इंसाफ की गुहार गुस्से में तब्दील हो चुकी है.
पीड़िता लड़खड़ाती जुबान में कहती है, ‘अगर पुलिस ने कुछ नहीं किया तो मैं खुद ठीक होकर उन्हें मार डालूंगी.’
पहले अस्पताल में बदसलूकी फिर पुलिस का रिपोर्ट लिखने से इनकार. ये दोनों ही बातें इशारा करती हैं कि देश भर में महिलाओं के हक में उठ रही आवाजों का कम से कम इन पर तो रत्ती भर भी असर नहीं हुआ है.