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मोरबी हादसे के बाद योगी सरकार ने कराया पुलों का सर्वे, सामने आई ये रिपोर्ट

गुजरात के मोरबी में हुए दर्दनाक पुल हादसा के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी सतर्कता बरतते हुए राज्य के तमाम पुलों के सर्वे का निर्देश जारी किया था. ऐसे में पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में भी चार ऐसे पुल चिन्हित हुए हैं जो जर्जर हैं और आवागमन के लायक नहीं हैं.

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जर्जर हालत में सिर्फ 8-10 साल पुराना पुल
जर्जर हालत में सिर्फ 8-10 साल पुराना पुल

हाल ही में गुजरात के मोरबी में एक दर्दनाक पुल हादसा हुआ था. जिसमें तकरीबन 150 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. इस हादसे के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी सतर्कता बरतते हुए उत्तर प्रदेश के तमाम पुलों के सर्वे का निर्देश जारी किया था. इसी क्रम में पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में भी चार ऐसे पुल चिन्हित हुए हैं जो जर्जर हैं और आवागमन के लायक नहीं हैं.

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विभागीय अधिकारियों के अनुसार सर्वे की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है. आजतक की टीम ने भी इन पुलों का सर्वे किया. हमारी टीम ग्राउंड जीरो तक पहुंची और हमने यह देखा कि इन जर्जर पुलों के क्या हालात हैं. इस पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने भी कहा है कि सरकार द्वारा सतर्कता बरतते हुए एहतियात के तौर पर ऐसे पुलों को चिन्हित करने का निर्देश जारी किया गया था जो पुराने और जर्जर हो चुके हैं. इसकी रिपोर्ट हर जिले से मंगाई गई थी और जर्जर पुलों को जल्द ही दुरुस्त किया जाएगा साथ ही अगर किसी ने निर्माण में लापरवाही की है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.

इस पुल से हर रोज गुजरते हैं कई लोग

पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली के नक्सल प्रभावित इलाके चकिया के मूसाखांड पुल की हालत भी खराब है. जिला मुख्यालय से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर जंगली इलाके में स्थित इस पुल से जिले के तकरीबन दो दर्जन गांव के लोग तो आते जाते ही हैं साथ ही साथ सीमावर्ती बिहार के तरफ से भी लोगों का आवागमन इस पुल से ही होता है. बताया जाता है की मुसखांड डैम के ठीक बगल में स्थिति यह पुल महज 8 से 10 साल पुराना है.

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कंस्ट्रक्शन के दौरान बरती गईं लापरवाहियां

जर्जर हालत में UP के पुल

लेकिन इसकी हालत देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके निर्माण में किस तरह की लापरवाही बरती गई होंगी. पुल के आधा दर्जन से ज्यादा पिलर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और उसमें सरिया दिखाई दे रहा है. पिलर में इस्तेमाल किए गए सरिया को देखकर भी आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि इस पुल के निर्माण में भ्रष्टाचार की हदें किस तरह से पार की गई होंगी. 

इतने कम सालों में हालत खराब

8 से 10 सालों में ही पुल का यह हाल है कि कभी भी पुल धराशाई हो सकता है. लेकिन आसपास के लोगों की मजबूरी है कि वह अपनी जान जोखिम में डालकर इस पुल से आवागमन करते हैं.

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