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नोएडा में एक हजार करोड़ का इंजीनियर

देश में जब काले धन को लेकर बहस चल रही है, पीएम मोदी भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्रवाई की बात कर रहे हैं. इसी बीच काली कमाई के एक और सरताज की खबर आई है. ओहदा इंजीनियर का, लेकिन दौलत एक हजार करोड़ रुपये की.

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देश में जब काले धन को लेकर बहस चल रही है, पीएम मोदी भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्रवाई की बात कर रहे हैं. इसी बीच काली कमाई के एक और सरताज की खबर आई है. ओहदा इंजीनियर का, लेकिन दौलत एक हजार करोड़ रुपये की.

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यादव सिंह नाम के इस इंजीनियर की काली कमाई का खुलासा तब हुआ जब इसके नोएडा स्थ‍ित घर पर इनकम टैक्स की रेड पड़ी. छापे में इंजीनियर के घर से 10 करोड़ रुपये सिर्फ नकद मिले. इसके अलावा सैकड़ों करोड़ की जायदाद के कागजात बरामद किए गए.

नोएडा अथॉरिटी में चीफ इंजीनियर यादव सिंह का सेक्टर-51 में आलीशान घर है. इंजीनियर की काली कमाई का अक्स सिर्फ सेक्टर 51 की कोठी में ही नहीं, बल्कि और भी बंगलों से झांकते हैं. यादव सिंह के ये ठिकाने सिर्फ नोएडा में भी नहीं, बल्कि ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली तक है. आयकर विभाग की टीम ने यादव सिंह के ऐसे 20 ठिकानों पर छापेमारी की है जिनका 27 नवंबर से शुरू हुई आयकर विभाग की छापेमारी 28 नवंबर को भी जारी रही.

छापेमारी के दौरान यादव सिंह के तमाम बैंक लॉकर सील किए हैं, जिन्हें खोला जाना अभी बाकी है. यादव सिंह की तनख्वहा भले ही 70 हजार हो लेकिन उसके मकान की कीमत ही करीब 50 करोड़ रुपये है. तीन मंजिल के इस मकान में बकायदा स्वीमिंग पूल और प्राइवेट लिफ्ट भी लगी है. सूत्रों की माने तो यादव सिंह के इस मकान की साज सज्जा और रखरखाव पर जितने पैसे खर्च किए गए हैं वो किसी भी सरकारी अधिकारी के बूते के बाहर की बात है. लेकिन तीन-तीन अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह को शायद किसी की भी डर नहीं था तभी जिस नोएडा अथॉरिटी का चेयरमैन भी मामूली गाड़ी से चलता हो वहीं यादव सिंह ऑडी और बीएमडब्ल्यू जैसी गाड़ि‍यों से चलता था.

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यादव सिंह ने अपनी महंगी गाडियों के काफिले के पार्क करने के लिये घर के सामने ही पूरी पार्किंग कब्जा कर रखी थी. घर के बाहर बने सरकारी पार्क को यादव सिंह ने पूरी तरह से अपने कब्जे में ले रखा था. और तो और इस पार्क के भीतर अपने घर बिजली सप्लाई के लिए जनरेटर भी लगा रखा है.

ऐसा नहीं कि यादव सिंह की कारगुजारियों की भनक किसी को नहीं. इससे पहले भी यादव सिंह के खिलाफ भष्टाचार की जांच हो चुकी है और उस पर अवैध तरह से सम्पत्ति कमाने का आरोप लगा है. लेकिन यादव सिंह हर बार अपने संपर्कों के बल पर बच जाता है. ये उसके संपर्कों का ही असर है कि जिस बसपा और समाजवादी पार्टी के मुखिया एक दूसरे के दुश्मन बने रहते हैं, यादव सिंह नें दोनों के साम्राज्य में अपना सिक्का बुलंद किये रखा और हमेशा मलाईदार पोस्टिंग पर ही रहा.

यादव सिंह ने अपनी कमाई को ठिकाने लगाने के लिये तीन दर्जन से ज्यादा फर्जी कम्पनियां बनाई और उनके नाम पर अथॉरिटी से जमीनें भी अलॉट करवाई. बाद में इन फर्जी कम्पनियों को नाम समेत किसी और को बेच दिया और उसनें इन पैसों को रियल इस्टेट और दूसरे धंधों में भी पैसे को लगाया. इनकम टैक्स विभाग को लगातार इसे खिलाफ शिकायतें मिल रही थी. अगस्त 2014 में भी विभाग ने इसके खिलाफ छापे की तैयारी की थी लेकिन किसी वजह से उसे टालना पड़ा.

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