उत्तर प्रदेश में आज चुनाव होता है, तो BJP 403 सदस्यीय विधानसभा में 170 से 183 सीटों पर विजय पाने में कामयाब रहेगी. आज चुनाव कराए जाएं, तो BJP के कमल की चमक के सामने BSP के हाथी और SP की साइकिल की रफ्तार धीमी साबित होगी. ये निष्कर्ष है इंडिया टुडे ग्रुप के लिए 'एक्सिस-माई-इंडिया' ओपिनियन पोल का.
हालिया हफ्तों में BSP और SP दोनों को ही विवादों का सामना करना पड़ा है. ओपिनियन पोल के मुताबिक मायावती की BSP 115-124 सीटों के साथ यूपी में दूसरे नंबर पर रहेगी. पिछले कुछ महीनों में BSP का दामन छिटक कर इसके कई हाई प्रोफाइल नेता अलग हो चुके हैं. वहीं समाजवादी पार्टी की संभावनाओं को यादव कुनबे की अंदरूनी लड़ाई से झटका लगा है.
एक्सिस-माई-इंडिया पोल के मुताबिक आज चुनाव होते हैं, तो SP को 94 से 103 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर ही संतोष करना होगा. जहां तक कांग्रेस का सवाल है, तो पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की बहुप्रचारित किसान यात्रा के बावजूद चुनावी बिसात पर इसे कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा. ओपिनियन पोल के मुताबिक ग्रैंड ओल्ड पार्टी को 8 से 12 सीटों पर ही जीत मिलती दिखाई दे रही है.
यूपी चुनाव से कई महीने पहले किसी ओपिनियन पोल में ये पहली बार है कि BJP अन्य पार्टियों से लीड लेती दिखाई दे रही है. बता दें कि अगस्त में हुई C-Voter ओपिनियन पोल में BJP और SP में कांटे की टक्कर दिखाई गई थी. उसी महीने हुए CSDS ओपिनियन पोल में SP को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरते दिखाया गया था, वहीं BJP को दूसरे नंबर पर बताया गया था.
मेथोडोलॉजी
5 सितंबर से 5 अक्टूबर तक 60 सदस्यीय सर्वे टीम ने यूपी के 403 विधानसभा क्षेत्रों में फैले 22,231 लोगों से रूबरू इंटरव्यू लेकर उनकी राय जानी. सर्वे टीम ने हर विधानसभा क्षेत्र में 50 लोगों के सेम्पल साइज का लक्ष्य रखा.
तेज सत्ता विरोधी रुझान
ओपिनियन पोल के निष्कर्ष के मुताबिक यूपी में समाजवादी पार्टी सरकार को तेज सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ रहा है. एक्सिस के पोल सर्वेयर्स ने लोगों से 17 अलग-अलग मानकों के आधार पर पूछा कि वो सरकार के काम से खुद को कितना संतुष्ट पाते हैं. इन मानकों में सड़क, बिजली, पीने का पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, कानून और व्यवस्था से लेकर रोजगार के अवसर तक शामिल थे. औसतन 59 फीसदी लोगों ने SP प्रशासन के साढ़े चार साल के कार्यकाल को लेकर असंतोष जताया. एक तिहाई से कम वोटर्स ने कहा कि वो मौजूदा सरकार से संतुष्ट हैं.
क्या है जाति का चक्रव्यूह
BJP उत्तर प्रदेश में इसलिए बढ़त लेती दिख रही है क्योंकि उसे राज्य में अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) का समर्थन मिल रहा है. राज्य में 44 फीसदी गैर यादव OBC का कहना है कि वो कमल पर बटन दबाएंगे. उत्तर प्रदेश में अगड़ी जातियां (सवर्ण) भी BJP के साथ खड़ी दिखाई दे रही हैं. इनमें 61 फीसदी ने अपनी पहली पसंद कमल को बताया है.
यद्यपि SP के समर्थन में परम्परागत यादव वोट (67%) मजबूती से डटा है. यूपी में मुस्लिमों को अब भी SP पर ही सबसे ज्यादा भरोसा है. 58 फीसदी मुसलमानों ने SP का साथ देने की बात कही है. वहीं 21 फीसदी मुसलमान मायावती के पाले में खड़े नजर आ रहे हैं. देश में दलित विरोधी कई घटनाओं से BJP की ओर से मायावती के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिशों को झटका लगा है. दलितों में 71 फीसदी वोटर चट्टान की मजबूती के साथ मायावती के पीछे खड़े हैं.
चार क्षेत्रीय समीकरण
यूपी की समग्र चुनावी तस्वीर चार अलग-अलग समीकरणों के योग पर टिकी है. BJP जहां पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आगे दिख रही है, वहीं समाजवादी पार्टी को मध्य यूपी और अवध में मामूली बढ़त नजर आ रही है. अल्प विकसित बुंदेलखंड में मायावती की BSP को बढ़त हासिल है. पश्चिमी यूपी में बीजेपी 31 फीसदी वोट शेयर के साथ सबसे आगे हैं. वहीं SP और BSP दोनों के ही खाते में 27-27 फीसदी वोट जाते दिख रहे हैं.
मध्य यूपी में SP 29 फीसदी वोट शेयर के साथ सबसे आगे है. वहीं BSP 28 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर और BJP 26 फीसदी वोटों के साथ तीसरे नंबर पर दिख रही है. पूर्वी यूपी में BJP को 33 फीसदी वोटरों का समर्थन मिल रहा है. वहीं BSP 28 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे और SP 22 फीसदी के साथ तीसरे नंबर पर है.
मुख्यमंत्री के तौर पर कौन सबसे ज्यादा पसंद
यूपी के मुख्यमंत्री के तौर BSP सुप्रीमो मायावती वोटर्स की पहली पसंद के तौर पर उभरी हैं. उन्हें 31 फीसदी वोटर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं. इस मामले में मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दूसरे नंबर पर हैं. उन्हें 27 फीसदी लोगों ने सीएम के तौर पर पसंद बताया है. तीसरे नंबर पर देश के गृह मंत्री और यूपी के पूर्व सीएम राजनाथ सिंह हैं. उन्हें 18 फीसदी वोटर यूपी का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं. मुख्यमंत्री के तौर पर चौथी पायदान पर गोरखपुर से BJP सांसद योगी आदित्यनाथ हैं. उन्हें 14 फीसदी वोटरों ने सीएम के तौर पर अपनी पसंद बताया है.
कांग्रेस मुक्त भारत
54 फीसदी वोटरों ने कहा है कि वो कांग्रेस मुक्त भारत के विचार से सहमत नहीं हैं. इस बात के अलावा ओपिनियन पोल में ऐसा कुछ सामने नहीं आया है, जिससे ग्रैंड ओल्ड पार्टी को राहत मिल सके. सक्रिय राजनीति में प्रियंका गांधी की अपरिहार्य एंट्री की खूब चर्चा के बावजूद सिर्फ 19 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि वे कांग्रेस को दोबारा सशक्त बनाने में कोई भूमिका निभा सकती हैं. पार्टी ने शीला दीक्षित को यूपी में मुख्यमंत्री के लिए अपना चेहरा बताया है. लेकिन उन्हें सिर्फ 1 फीसदी वोटरों ने ही सीएम के तौर पर पसंद बताया.
कांग्रेस को कुल वोटों में से सिर्फ 6 फीसदी वोट ही मिलते दिखाई दे रहे हैं. साथ ही पार्टी को 8 से 12 सीटों पर ही जीत मिल सकती है. अगर अगले साल चुनाव में भी यही नतीजा आता है, तो ये यूपी के चुनावी इतिहास में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन होगा. इस ओपिनियन पोल की एक अहम बात ये रही कि एक-तिहाई प्रतिभागियों ने माना कि वे केंद्र सरकार के कामकाज को आधार मानकर यूपी के आगामी विधानसभा में वोट करेंगे.
जहां तक मुद्दों की बात है तो राम मंदिर का मुद्दा वोटरों की पसंद के लिए अब कोई मायने नहीं रख रहा. आश्चर्यजनक ढंग से राम मंदिर मुद्दे को वोटिंग का आधार माने जाने के सवाल पर प्रतिभागियों से 0 फीसदी नतीजा सामने आया. इस चुनाव में वोटरों के लिए विकास सबसे बड़ा मुद्दा साबित होने जा रहा है.
रोजगार के अवसर, सड़क, बिजली और पीने के पानी जैसे अन्य मुद्दे हैं, जिन पर वोटरों का ध्यान केंद्रित है. ये पूछे जाने पर कि BJP को अपना ध्यान सबसे ज्यादा किस बात पर केंद्रित रखना चाहिए तो 88 फीसदी के जबरदस्त बहुमत ने विकास के हक में राय व्यक्त की. सभी प्रतिभागियों में से सिर्फ 1 फीसदी ने गाय संरक्षण को प्राथमिकता बताया.