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हाथियों का नया ठिकाना चुरमुरा गढ़ी सेंचुरी

वृंदावन से लगभग 30 किलोमीटर दूर चुरमुरा गढ़ी में देश की पहली हाथी सेंचुरी बनी है. मौजूदा वक्त में यहां 19 हाथी हैं. वाइल्ड लाइफ एसओएस नाम की एक संस्था इनकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी उठाती है. यूपी सरकार के सहयोग से बने इस हाथी सेंचुरी से अब पीलीभीत से बीजेपी सांसद मेनका गांधी भी जुड़ गई हैं.

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चुरमुरा में है देश की पहली हाथी सेंचुरी
चुरमुरा में है देश की पहली हाथी सेंचुरी

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वृंदावन से लगभग 30 किलोमीटर दूर चुरमुरा गढ़ी में देश की पहली हाथी सेंचुरी बनी है. मौजूदा वक्त में यहां 19 हाथी हैं. वाइल्ड लाइफ एसओएस नाम की एक संस्था इनकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी उठाती है. यूपी सरकार के सहयोग से बने इस हाथी सेंचुरी से अब पीलीभीत से बीजेपी सांसद मेनका गांधी भी जुड़ गई हैं.

जख्मी हाथियों का होता है इलाज
सेंचुरी की हाथिनी कंचन को कुछ साल पहले नोएडा में एक सड़क हादसे में गंभीर चोटें आई थीं. घायल कंचन को मारने की कवायद शुरू हुई, लेकिन वाइल्ड लाइफ एसओएस ने ऐसा नहीं होने दिया और कंचन को यहां लाकर एक नई जिंदगी दी. सेंचुरी में अभी उसका इलाज चल रहा है. इसी तरह हथिनी माया को सर्कस से छुड़ाया गया था, जब वह यहां आई थी, तो कुपोषण का शिकार थी. अब उसकी सेहत में सुधार हो रहा है.

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कितनी है हाथियों की खुराक
एक हाथी एक दिन में 200 से 250 किलो अलग-अगल किस्म का खाना खाता है. इसमें 200-210 किलो हरा चारा होता हैं, जिसमें गन्ना, हरी पतियां और खास तरह का फूड शामिल है. एक दिन में एक हाथी को 30 से 35 फल दिए जाते हैं, जिसमें केला, आम, पपीता तरबूज प्रमुख हैं. हर हाथी को 10 से 12 किलों का स्पेशल फूड भी दिया जाता है, जिसमें बाजरा, दलिया, गुड़ और इनकी दवाइयां मिली हुई होती हैं. हाथी को एक दिन में लगभग 150 लीटर पानी की जरूरत होती है. दिन में दो तीन बार नहाने के लिए उचित पानी का भंडार भी जरूरी है.

कहां से आता है फंड
संस्था अपनी तरफ से फंड इकट्ठा करने के लिए कई योजनाएं चलाती हैं. एक योजना में तो बाकायदा यहां के हाथी भी उनकी मदद करते हैं. इसके तहत हाथी के पांव के तलवे को अलग-अलग रंगों में डूबो कर कैनवास पर रखा जाता है, जिससे एक खूबसूरत तस्वीर बनती है. इन्हें मार्केट में बेचकर फंड इकट्ठा किया जाता है. महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सरकार से इस तरफ ध्यान देने की भी मांग की.

क्या कहते हैं अधिकारी
वाइल्ड लाइफ एसओएस के संस्थापक कार्तिक ने बताया कि यहां पर रहने वाले हर हाथी की अपनी कहानी है. हम हर हाथी का खास ख्याल रखते हैं. जख्मी हाथी के इलाज में इंसान जितनी ही सतर्कता बरती जाती है.

 

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