यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे पूर्व कांग्रेस नेता बेनी प्रसाद वर्मा एक बार फिर समाजवादी पार्टी मे शामिल हो गए हैं. मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, आजम खान और शिवपाल सिंह की मौजूदगी में उन्होंने शुक्रवार को दोबारा पार्टी ज्वॉइन किया. 2008 में मुलायम से नाराज होकर बेनी ने समाजवादी पार्टी से किनारा कर लिया था.
इस दौरान मीडिया से बात करते हुए बेनी ने कहा, 'पिछले दो साल से कांग्रेस पार्टी में मेरा दम घुट रहा था.' मुलायम सिंह यादव ने बेनी प्रसाद वर्मा का स्वागत करते हुए कहा, 'बेनी हमारे पुराने साथी हैं. बेनी ने ही पार्टी को समाजवादी नाम दिया था. पार्टी बनाने में उनका बड़ा सहयोग मिला है. मेरे सारे राजनीतिक निर्णय में बेनी प्रसाद वर्मा हमारे साथ रहे. उनके पार्टी में शामिल होने से पूरे देश में एक संदेश जाएगा और सपा लखनऊ के शाथ-साथ दिल्ली की लड़ाई भी लड़ेगी.'
आजम खान ने भी बेनी की खूब तारीफ की. उन्होंने कहा कि बेनी मजबूत नेता हैं. वे जब पार्टी छोड़कर गए थे तो दुख हुआ था. अखिलेश यादव ने भी बेनी का स्वागत करते हुए कहा कि पुरानी शराब, पुरानी किताबें और पुराने दोस्त भुलाए नहीं भूलते.
राहुल के चहेते रहे हैं बेनी
बता दें कि बेनी प्रसाद वर्मा अपने बेटे राकेश वर्मा और एक अन्य समर्थक के साथ मुलायम सिंह यादव के लखनऊ स्थित आवास पर उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे. इसके बाद ही उन्होंने सपा की सदस्यता ली. यूपीए की सरकार में राहुल गांधी के चहेते नेताओं में रहे बेनी प्रसाद वर्मा केंद्र सरकार में मंत्री भी थे.
भाई-भाई में लड़ाई भी होती है और सुलह भी
लोकसभा चुनाव के दौरान बेनी प्रसाद ने मुलायम सिंह यादव को जमकर कोसा था. लेकिन विधानसभा चुनाव में जातिगत समीकरणों को देखते हुए मुलायम ने भी बेनी को सपा में शामिल करने में थोड़ी भी देर नहीं लगाई, वहीं इस मौके पर बेनी ने कहा, 'जो बातें बीत गई हैं, उनको दोहराया नहीं जाता. हम छोटे-बड़े भाई हैं. हमें अखिलेश को दोबारा सीएम बनाना है. भाई-भाई में लड़ाई भी होती है घर में और सुलह भी होती है.'
मुसलमानों की हो रही है उपेक्षा
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने इस मौके पर सियासी तार भी छेड़े. उन्होंने कहा कि देश में मुसलमानों की घोर उपेक्षा हो रही है. जितनी हो सकती थी उतनी उपेक्षा हो रही है. उन्होंने मीडिया से सहयोग की अपील की है. मुलायम ने कहा, 'बेनी वर्मा के जाने से अच्छा नहीं लगा. अखिलेश के काम से अब हम संतुष्ट हैं. पुराने वादे ढाई साल में पूरे हुए, अब नए काम हो रहे हैं. अच्छा काम हो रहा है.'
बेटे को टिकट न मिलने पर भड़के थे बेनी
गौरतलब है कि बेनी प्रसाद वर्मा अपने बेटे के लिए साल 2007 में टिकट चाहते थे. लेकिन अमर सिंह की वजह से बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को टिकट नहीं मिल पाई. इसी वजह से नाराज बेनी प्रसाद वर्मा ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और समाजवादी क्रांति दल बनाया. इसके बाद साल 2008 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए.
बेनी प्रसाद वर्मा कई साल तक यूपी की सपा सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे हैं. देवेगौड़ा सरकार के दौरान उन्होंने 1996 से 1998 तक केंद्र में संचार मंत्री का पद संभाला. 1998, 1999, 2004 और 2009 में गोंडा से सांसद चुने गए, जबकि यूपीए सरकार के दौरान 12 जुलाई 2011 को इस्पात मंत्री भी बनाए गए. पिछले लोकसभा चुनाव में हारने के बाद बेनी वर्मा कांग्रेस में हाशिए पर थे.
मुलायम पर कभी बरसते थे बेनी प्रसाद वर्मा
बेनी प्रसाद वर्मा ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन सभी धरे के धरे रह गए. बेनी मुलायम सिंह को जमकर कोसा करते थे. अब वह अपने बेटे राकेश वर्मा को राजनीति में स्थापित भी करना चाहते हैं. राकेश सपा सरकार में कारागार मंत्री रह चुके हैं. जब अखिलेश मंत्रिपरिषद में बदलाव की अटकलें तेज हैं तो बेनी बेटे के लिए मंत्री पद की डिमांड भी कर सकते हैं.
कुर्मी वोट बैंक पर नजर
इसके लिए जुलाई में होने वाले एमएलसी चुनावों के जरिए बेनी को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी बेनी प्रसाद वर्मा को राज्यसभा में भेजकर उनके कद का लाभ ले सकती है. समाजवादी पार्टी 2017 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हर कदम फूंक कर रख रही है. बेनी को राज्यसभा भेजने की तैयारी की बड़ी वजह कुर्मी वोट बैंक भी है.
समाजवादी पार्टी 2017 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यादवों की भलाई वाली इमेज छोड़ना चाहती है, इसलिए अलग-अलग जाति के लोगों को राज्यसभा का टिकट दिया जा सकता है. एक दौर में मुलायम सिंह के सबसे करीबी रहे बेनी प्रसाद वर्मा ने फिर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है.
कांग्रेस में नहीं चला बेनी का जादू
साल 2008 में बेनी कांग्रेस में शामिल हुए. 2009 में उन्होंने अपनी पुरानी सीट कैसरगंज की जगह 15 फीसदी कुर्मी मतदाता वाले संसदीय क्षेत्र गोंडा से चुनाव लड़ा. चुनाव में वोटों का गणित बेनी के पक्ष में फिट बैठा और वे चुनाव जीत गए. 2012 के विधासभा चुनाव में पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को अपनी ओर खींचने के लिए कांग्रेस ने बेनी को ही आगे किया. इसी रणनीति के तहत 2011 में पहले बेनी को इस्पात मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया और अगले ही साल 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले उनका कद बढ़ाकर उन्हें इस्पात मंत्रालय का कैबिनेट मंत्री बना दिया गया.
बेनी के रूप में कांग्रेस का पिछड़ा कार्ड विधानसभा चुनाव में फ्लॉप साबित हुआ. गोंडा, बाराबंकी जैसे कुर्मी बाहुल्य और बेनी की पकड़ वाले इलाकों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली.