सिताब दियारा वो इलाका है जिसपर दावा बिहार और उत्तर प्रदेश दोनों करते हैं, सिताब दियारा वो गांव है जो बिहार और यूपी दोनों में बंटा है. बलिया और छपरा सीमा के आर-पार है जेपी का गांव सिताब दियारा. दो राज्य के दो जिले लेकिन गांव एक क्योंकि प्रख्यात समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण इस गांव से आते हैं. इसलिए उनपर भी दावा न तो बिहार छोड़ता है ना ही उत्तर प्रदेश.
बाढ़ से सीमा खत्म हुई
जेपी पर दावा भले दोनों राज्य करे लेकिन इस समय दोनों राज्य मिलकर भी जेपी के गांव को बचा नहीं पा रहे. क्योंकि दोनों राज्यों में आई बाढ़ ने सिताब दियारा गांव की सीमा को ही खत्म कर दिया है, पूरे सिताब दियारा मे सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है. उत्तर प्रदेश से बिहार तक का सिताब दियारा का इलाका डूब चुका है. बलिया जिले की पहचान पहले जयप्रकाश नारायण और फिर पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर से होती रही है लेकिन गंगा और घाघरा की बाढ़ ने ये सीमा ही खत्म कर दी है.
गांव में चल रही हैं एनडीआरएफ की नाव
बिहार की सीमा में पड़ने वाला जेपी का पुश्तैनी मकान सिताब दियारा के लाला टोला में है लेकिन वहां पानी ही पानी है जबकि बलिया के जयप्रकाश नगर में जेपी का मकान बांध के पार होने की वजह से फिलहाल बचा हुआ है. लेकिन उनके गांव में पानी ही पानी है. सिताब दियारा में इस वक्त एनडीआरएफ की नांव चल रही हैं और गांव के कई टोलों का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है. बभनटोला और दलजीत टोला सिताब दियारा के वैसे गांव हैं जहां आबादी तो है लेकिन दुनिया से कटी हुई. वजह है गंगा में आई बाढ़. जिसने पूरे गांव को ही अपने आगोश में ले लिया है.
प्रशासन इस कोशिश में है कि गंगा में आई बाढ़ दूसरी ओर न फैले. इसलिए बलिया में एनएच 31 को बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है. अगर ये एनएच 31 टूटता है तो जेपी का बलिया का घर भी डूब सकता है.