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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाल ही में मदरसों का सर्वे कराने के निर्देश दिए थे. इसके विरोध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मंगलवार को बैठक की. मीटिंग में यूपी के विभिन्न जिलों के मदरसों के प्रधानाध्यापकों ने शिरकत की. इस दौरान जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा कि इस फैसले का विरोध करेंगे. लेकिन सरकार से गुजारिश है कि वह हमसे बात करे. क्योंकि मदरसे देश की संपत्ति हैं और देश के विकास से लेकर हर संघर्ष में मदरसों का योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि असम की तरह मदरसों को बुलडोजर से तोड़ा ना जाए. आतंकी गतिविधियों के आरोप में असम में पुलिस ने कई मदरसों को ध्वस्त कर दिया. जिसको लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद अपना विरोध जता रही है. मदनी ने कहा कि वह सरकार से बातचीत करने को तैयार हैं और नियमों के पालन में हर संभव मदद भी करेंगे. अगली बैठक 24 सितंबर को देवबंद के दारुल उलूम में होगी. इसमें आगे की रणनीति पर विचार होगा.
वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी ने कहा कि मदरसे की दीनी तालीम मुसलमानों का अंदरूनी मसला है. कुछ मदरसों के लोगों ने कहा कि कम्युनिटी लेवल पर चलाए जा रहे मदरसों को कई बार जमीनें दान की गई हैं, जिसकी रजिस्ट्री नहीं हुई है. तो कई छोटे मदरसों के पास फंडिंग का हिसाब नहीं है. क्योंकि उन्हें जकात और दूसरे माध्यमों से बेहद कम मात्रा में मदद मिलती है. कुछ मदरसों का कहना है कि जब सरकार आर्थिक मदद नहीं करती तो उन्हें ऐसी शक्ति नहीं करनी चाहिए, अगर नियम बनाए हैं तो दस्तावेज तैयार करने के लिए समय दिया जाना चाहिए. वहीं जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से कहा गया कि इस फैसले का विरोध करेंगे, लेकिन सड़कों पर उतर कर नहीं, बल्कि नियम का पालन करते हुए उन मदरसों को आने वाली अड़चन में कानूनी मदद देंगे. बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि मदरसों में तालीम देते हैं कि देश के कानून का अमल करें.
बैठक में कमाल फारुकी ने कहा कि सरकार मदरसों को टारगेट कर रही है. मदरसों पर बुलडोजर चला रही है. इस दौरान उन्होंने कहा कि मदरसे हमारे हकूक का मामला है. सभी मदरसे मॉडर्न हो रहे हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में सर्वे पर सवाल उठाया गय़ा. मौलाना इश्तियाक अहमद कादरी ने सरकार के सर्वे पर कहा कि अगर नीयत ठीक है, तो उसका स्वागत है, लेकिन मदरसे मदद से पहले से ही कई परेशानियों से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि साढ़े 16 हजार मदरसों में से केवल 500 को सरकार की मदद मिलती है, बाकी सब चंदे के सहारे चल रहे हैं. ऐसे में उन पर सवाल करना ठीक नहीं है.
'मदरसों के पास पाने के लिए कुछ नहीं'
इश्तियाक अहमद कादरी ने कहा कि मदरसों के पास पाने के लिए कुछ नहीं है, जबकि खोने के लिए सब कुछ है. उन्होंने कहा कि मदरसों को लेकर सरकार का अनुभव पहले से ही अच्छा नहीं रहा. ऐसे में भरोसा करना मुश्किल है. सरकारी स्कूलों में पहले ही पढ़ाई नहीं हो रही. ऐसे में मदरसों के हालात को बेहतर करने के लिए सरकार ने क्या किया?
मदरसों को लेकर सवाल क्यों
कादरी ने कहा कि जब सरकार स्कूलों को प्राइवेट कर रही है, तो प्राइवेट तौर पर चल रहे मदरसों को लेकर सवाल क्यों कर रही है. जो कि बिना किसी मदद के शिक्षा दे रहे हैं. इसके साथ ही कहा कि घटनाएं कहां नहीं होतीं. कई कोचिंग सेंटर्स में बच्चों को पीटा गया. वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन मदरसे पर सवाल किया गया. उन्होंने कहा कि बच्चों को दलित होने के नाम पर पीटकर मारा गया. उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन 16000 मदरसों की स्थिति और उनके शिक्षकों के लिए सरकार ने क्या किया? मदरसों में पढ़ रहे बच्चों ने कहा कि हम यहां की तालीम से खुश हैं. इस पर सवाल नहीं होना चाहिए. हजरत और उस्ताद बखूबी पढ़ाते हैं. यहां की तालीम बेहतर है, कोई दिक्कत नहीं है.
मदरसों को मदद मुहैया कराई जाएगी
जमीयत के वकील और जनरल सेक्रेटरी नियाज़ अहमद फारुक ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि तमाम मदरसों को मदद मुहैया कराई जाएगी. लेकिन उन्हें इसके लिए समय मिलना चाहिए, क्योंकि गैर मान्यता प्राप्त और गैस सरकारी वित्तीय पोषित मदरसों के सामने कागजात और फंडिंग की व्यवस्था बनाए रखने में वही खामियां हैं, जो दूसरे निजी संस्थानों में आती हैं. नियाज़ अहमद फारुकी ने भी कहा कि सरकार का फैसला जो भी होगा, उसका पालन करेंगे. लेकिन कहीं असम की तरह मदरसों को टारगेट ना किया जाए.
प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कही ये बात
यूपी के मदरसों पर दिल्ली में बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि हम मदरसों में तालीम देते हैं कि देश के कानून का अमल करें. कानून के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएंगे. साथ ही हमने सभी मदरसों से कहा है कि अपना हिसाब-किताब सही करें. अगर कोई कानून आपके खिलाफ काम कर रहा है तो हम इसे लेकर स्टैंडिंग कमेटी बनाइए. साथ ही कहा कि आज एक कमेटी बनाई गई है. इसमे सभी लोगों के एकत्र किया गया है. इतनी बड़ी बैठक में अमली तौर पर कोई फैसला नहीं किया जा सकता. ये कमेटी बैठेगी और आगामी फैसला करेगी.
मंत्री बोले- सर्वे मुस्लिम नौजवानों की तरक्की के लिए
यूपी के अल्पसंख्यक राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि यह सर्वे मुस्लिम नौजवानों की तरक्की के लिए जरूरी है. जो कि तय समय पर होगा. उन्होंने कहा कि यह सरकार सब की सरकार है और अल्पसंख्यक समाज के लिए सरकार गंभीर है. इसके लिए सबका सहयोग चाहिए. उन्होंने जमीयत की बैठक पर कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी चर्चा कर सकता है. अपना विचार रख सकता है. मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि सरकार का मदरसों को बर्बाद नहीं, बल्कि आबाद करने का प्लान है. एक शिकायत आई थी कि लखनऊ के मदरसे में एक बच्चे को जंजीर से बांधा गया है. इसके बाद ही सर्वे हो रहा है.उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि मदरसों में छात्रों की संख्या, शिक्षकों की स्थिति, इंफ्रास्ट्रक्चर को जाना जाए. इस पर सवाल करना ठीक नहीं है.
'मदरसों के मामले में कोई दखल नहीं होगा'
दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि अगर मदरसों में कोई घटना हो या शिकायत आए, तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होती है. इसीलिए सर्वे के जरिए ये आंकड़ा जानना जरूरी है. मदरसों के मामले में कोई दखल नहीं होगा. सरकार केवल अपनी योजनाओं से इन्हें जोड़ने की कोशिश कर रही है. हर कोई हमारे सहयोग में है. सभी के साथ संवाद करके अल्पसंख्यक नौजवानों के भविष्य के लिए सरकार काम करेगी. सर्वे नॉर्मल है. चिंता का विषय नहीं है.
'मौलाना शिक्षा को धर्म के चश्मे से न देखें'
वहीं, यूपी बीजेपी प्रवक्ता समीर सिंह ने कहा कि जमीअत उलेमा-ए-हिंद की सोच दकियानूसी है. सरकार सभी के लिए सोचती है. ऐसे में सर्वे पर सवाल करना गलत है, सरकार लगातार उनके लिए काम कर रही है, ऐसे में मौलाना और मौलवी शिक्षा को धर्म के चश्मे से नहीं, बल्कि शिक्षा की नजर से देखें.
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