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24 घंटे में गई आजम खान की विधायकी, इस बीजेपी MLA का मामला 20 दिन से अटका... जानें क्या है पेच?

रामपुर से सपा विधायक आजम खान की सदस्यता कोर्ट से सजा मिलने के 24 घंटे के अंदर समाप्त हो गई है, लेकिन बीजेपी विधायक विक्रम सैनी को कोर्ट से 11 अक्टूबर को दो साल की सजा मिली है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने इसी मामले को लेकर स्पीकर सतीश महाना को पत्र लिखकर सवाल उठाया है?

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आजम खान और विक्रम सैनी
आजम खान और विक्रम सैनी

रामपुर से सपा विधायक आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के केस में एमपी-एमएलए कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के 24 घंटे के भीतर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उनकी सदस्य रद्द कर दी है. आजम खान के मामले जिस तरह से त्वरित एक्शन लिया गया है, उसे लेकर आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने सतीश महाना को पत्र लिखकर सवाल उठाया और कहा कि जिस तरह आजम खान के मामले में तत्परता दिखाई है, उस तरह से मुजफ्फरनगर के खतौली से विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता को समाप्त करने में क्यों नहीं दिखाई गई. 

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि अदालत से दो साल की सजा पाए किसी भी जनप्रतिनिधि की सदस्यता स्वतः खत्म मानी जाएगी. जैसे ही यह सूचना विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को मिलती है विधानसभा अध्यक्ष उस विधायक की सीट खाली होने अधिसूचना जारी कर देते हैं. 

3 साल की सजा की चिठ्ठी

रामपुर से सपा विधायक आजम खान को जैसे ही कोर्ट ने तीन साल की सजा भड़काऊ भाषण देने के मामले सुनाई. रामपुर जिला अधिकारी के कार्यालय ने इसकी सूचना राज्य निर्वाचन आयोग कार्यालय को दी. उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में वह पत्र विधानसभा सचिवालय को भेज दिया. यूपी विधानसभा सचिवालय को जैसे ही आजम खान को 3 साल की सजा की चिठ्ठी मिली, उसे लेकर विधानसभा स्पीकर सतीश महाना ने आजम खान के सीट को रिक्त घोषित कर दिया. 

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वहीं, मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में दोषी कराए दिए गए बीजेपी विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसा नहीं है. अदालत ने विक्रम सैनी को दो साल की सजा सुनाई है, लेकिन न तो मुजफ्फरनगर जिला अधिकारी के तरफ से राज्य निर्वाचन आयोग को इस फैसले के आलोक में सदस्यता खत्म करने की कोई सूचना भेजी गई और ना ही राज्य निर्वाचन आयोग कार्यलय ने विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द करने को लेकर कोई चिट्ठी विधानसभा कार्यालय को भेजी गई.

जयंत चौधरी का सवाल

आजम खान के मामले में जिस तरह से त्वरित एक्शन लिया गया तो आरएलडी चीफ जयंत चौधरी ने स्पीकर सतीश महाना को पत्र लिखकर खतौली विधायक विक्रम सैनी के मामले में जानकारी मांगी गई. जयंत चौधरी ने कहा कि विधायक विक्रम सैनी को मुजफ्फरनगर दंगे के लिए स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने 11 अक्टूबर 2022 को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत 2 साल की सजा सुनाई गई. उस प्रकरण में आप की ओर से आज तक कोई पहल नहीं की गई. जनप्रतिनिधित्व कानून को लागू करने के लिए व्यक्ति-व्यक्ति के मामले में क्या अलग-अलग रूप से है? 

जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से जानकारी मांगी गई है की बीजेपी विधायक विक्रम सैनी को जो अदालत ने सजा दी है उसकी उसका स्टेटस रिपोर्ट क्या है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में क्या यह मामला भी सीट रिक्तता बनती है कि नहीं. 

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विधानसभा स्पीकर सतीश महाना ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि जब तक किसी भी जनप्रतिनिधि के 2 साल से अधिक की सजायाफ्ता होने की कोई आधिकारिक सूचना उनके दफ्तर को नहीं दी जाती तब तक वह किसी माननीय सदस्य के सीट की रिक्तता की घोषणा नहीं कर सकते हैं. विक्रम सैनी के अदालती फैसले की कोई सूचना विधानसभा कार्यालय को आधिकारिक तौर पर नहीं भेजी गई है. ऐसे में अब विधानसभा की तरफ से विधायक विक्रम सैनी के सजा को लेकर सूचना मांगी गई. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में इस मामले को देखने के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा. 

किस फैसले के चलते समाप्त हुई आजम की सदस्यता?

दरअसल जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 धारा 8(3) के तहत यह प्रावधान है कि अगर किसी विधायक या सांसद को 2 साल या दो साल से से अधिक की सजा होती है तो सजा की तारीख से उसकी सदस्यता स्वत: ही समाप्त मानी जाएगी. इसके साथ ही अगले 6 साल के लिए वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा. इस फैसले के चलते आजम खान की सदस्यता खत्म हुई है और पिछले साढ़े पांच साल में पांच विधायकों की सदस्यता समाप्त हुई है. 

आजम खान के मामले में सरकार की तरफ से सूचना विधानसभा अध्यक्ष को भेजी गई थी जबकि विक्रम सैनी के मामले में विधानसभा अध्यक्ष को कोई सूचना नहीं दी गई है. यही वजह है कि आजम खान पर कोर्ट से सजा होने के 24 घंटे के अंदर उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई जबकि 20 दिन के बाद भी विक्रम सैनी मामले की रिपोर्ट न विधानसभा भेजी गई और न ही चुनाव आयोग को. इसीलिए विक्रम सैनी के मामले पर किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया गया. इसी तरह से बीजेपी विधायक खब्बू तिवारी के मामले में कोर्ट से सजा होने के करीब डेढ़ महीने के बाद स्पीकर ने सीट रिक्त घोषित की थी. 

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