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रामपुर छोड़ दक्षिण जाएंगी सांसद जयाप्रदा!

सांसद जयाप्रदा की गाड़ी से रामपुर में लालबत्ती उतारने के मामले में अमर सिंह ने उन्हें कहीं से भी सियासत करने की छूट देकर एक बार फिर इन आशंकाओं को हवा दे दी है कि जयाप्रदा इस बार दक्षिण की ओर रुख कर सकती हैं.

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सांसद जयाप्रदा की गाड़ी से रामपुर में लालबत्ती उतारने के मामले में अमर सिंह ने उन्हें कहीं से भी सियासत करने की छूट देकर एक बार फिर इन आशंकाओं को हवा दे दी है कि जयाप्रदा इस बार दक्षिण की ओर रुख कर सकती हैं.

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जयाप्रदा के आंध्र प्रदेश में अपने गृहक्षेत्र राजामुंदरी से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं. खुद जयाप्रदा भी आंध्र प्रदेश से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुकी हैं. इसके लिए वह वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात भी कर चुकी हैं.

अमर सिंह ने रविवार को जिस तरीके से जयाप्रदा के राजनैतिक भविष्य के बारे में कहा, उससे साफ है कि रामपुर में अगला लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प होगा. समाजवादी पार्टी (सपा) में रहकर यहां से लगातार लोकसभा चुनाव जीतने वाली जयाप्रदा अगर इस बार यहां मैदान में नहीं होंगी तो नए सूरमा कौन-कौन होंगे, इस बात को लेकर अभी से अटकलें लगाई जाने लगी हैं.

सपा के लिए इस सीट पर चुनाव जीतना प्रतिष्ठा का सवाल होगा, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में आजम के भारी विरोध के बावजूद न सिर्फ जयाप्रदा को रामपुर से टिकट दिया गया बल्कि वह जीतने में भी कामयाब रहीं.

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उत्तर प्रदेश की इस सीट पर भाजपा की ओर से मुख्तार अब्बास नकवी पार्टी का चेहरा बनते आए हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस बार पार्टी के विधान परिषद सस्दय डॉ. नैपाल सिंह रामपुर से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं.

डा. नैपाल सिंह ने रामपुर में एक सभा में कहा था कि जनता उन्हें रामपुर से लोकसभा में भेजना चाहती है. रामपुर की राजनीति में दखल करते हुए उन्होंने अपनी छवि साफ और बेदाग तक बताई है, इससे साफ है कि अब मुख्तार अब्बास नकवी का पत्ता यहां से कट सकता है. पार्टी की ओर से हालांकि इस बारे में कुछ नहीं कहा जा रहा है.

वहीं जयाप्रदा भी रामपुर में ये बयान दे चुकी हैं कि कुछ बड़े नेता उन्हें रामपुर से भगाने की कोशिश कर रहे हैं. वे इंतजार में हैं कि कब सांसद रामपुर को अलविदा कहें. जयाप्रदा और प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री आजम खान का छत्तीस का आंकड़ा किसी से छिपा नहीं है.

ऐसे में जयाप्रदा, आजम का नाम लिए बगैर काफी कुछ कह रही हैं. हालांकि वह अगला चुनाव रामपुर से नहीं लड़ने पर ही सवाल खड़े कर चुकी हैं. जयाप्रदा का दावा है कि उन्होंने अपने क्षेत्र में विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी हैं, लेकिन जिस तरीके से अमर सिंह का ताजा बयान सामने आया है, उससे इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में किसी बड़े दल से तालमेल नहीं बैठने पर वह दक्षिण को ही अपना नया सियासी घर बना सकती हैं.

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