विवादित पोस्ट के मामले में पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी पर बीजेपी की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी सवाल खड़ा किया है. केसी त्यागी का कहना है कि पत्रकार को गिरफ्तार करना इमरजेंसी के काले दिन की याद दिलाता है.
उन्होंने आगे कहा कि हर किसी को अपने विचारों की स्वतंत्रता है आजादी है. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस ढंग से पत्रकार प्रशांत कनौजिया को गिरफ्तार किया गया था, वह असंवैधानिक था. अब सुप्रीम कोर्ट ने उनको रिहा करने का आदेश दिया है, ये आदेश बिल्कुल ठीक है. इस पर उत्तर प्रदेश सरकार को माफी मांगनी चाहिए.
जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि पुलिस अथॉरिटीज का जो एटीट्यूड है, ये बहुत आपत्तिजनक है. ये आपातकाल के काले दिनों की याद दिलाता है. तब पत्रकारों को या पॉलिटिकल एक्टिविस्ट को बिना कारण बताए गिरफ्तार किया जाता था. केसी त्यागी ने सवाल उठाए कि पुलिस कैसे 11 दिन की रिमांड पर किसी भी पत्रकार को ले सकती है, लिखने की आजादी हमने बड़े संघर्ष के बाद प्राप्त की है.
आपातकाल का हमने विरोध किया है. उत्तर प्रदेश सरकार इसकी जांच कराए और जो सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी है, उसको ध्यान में रखा जाए. उन्होंने आगे कहा कि टिप्पणी करने के मामले में देश-विदेश में भी आजादी है. लोग भगवान पर देवी-देवताओं पर टिप्पणी करते हैं, उनकी तरफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. क्या सरकार असंवेदनशील हो गई है? क्या सरकार को आलोचना असहज लगती है?
केसी त्यागी ने मांग की है कि मैं चाहता हूं कि जो उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया, योगी जी को अधिकारियों को कहना चाहिए कि पत्रकार जगत से माफी मांगें. नोएडा अथॉरिटी का मैंने एक बयान देखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि ऊपर से हमको कोई आदेश नहीं था. आदेश न भी मिला हो, लेकिन इस कुकृत्य के लिए सरकार की तरफ से अफसोस जाहिर करना चाहिए.