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VHP महामंत्री ने किया जितेंद्र त्यागी का स्वागत, बोले- जब वसीम रिजवी अपने पूर्वजों की ओर कदम रख सकते हैं तो शेष क्यों नहीं

परांडे ने कहा कि मुस्लिम समाज के प्रबुद्ध वर्ग को गंभीरता से विचार कर इस्लामिक कट्टरवाद को जड़ से मिटाने के लिए पहल करनी चाहिए, नहीं तो जिहादी मानसिकता व कट्टरता से लोग तो पीड़ित हैं हीं, ये इस्लाम को भी निगल जाएगी.

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जितेंद्र त्यागी का स्वागत करते विहिप महामंत्री परांडे.
जितेंद्र त्यागी का स्वागत करते विहिप महामंत्री परांडे.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विहिप महामंत्री ने कहा- जो भी हिंदू धर्म में लौटेगा, हम स्वागत करेंगे
  • परांडे ने कहा- भूलों को सुधार, अपने मूल की ओर लौटना मानव धर्म है

6 दिसंबर को हिंदू धर्म में लौटे जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी का शुक्रवार को विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने विहिप कार्यालय में स्वागत किया. परांडे ने कहा कि जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी से उन सभी लोगों को प्रेरणा मिलेगी जो अपने मूल धर्म की ओर लौटना चाह रहे हैं. भूलों को सुधार, अपने मूल की ओर लौटना मानव धर्म है. जो भी हिन्दू धर्म में लौटना चाहे हम हृदय से उन सभी का स्वागत करेंगे. 

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परांडे ने यह भी कहा कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमेन जितेंद्र त्यागी ( तब वसीम रिजवी) ने पिछले कई सालों से मुस्लिम समाज की कुरीतियों व कट्टरता के निदान के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए, लेकिन जिहादियों ने अपने पैरों पर हथौड़ा मारना ही उचित समझा. आतंक, हिंसा व खून-खराबे की पोषक कुरान की 26 आयतों के संदर्भ में भी जो साहसिक प्रयास किए, उनको भी जिहादियों ने नकार दिया. मुस्लिम समाज के प्रबुद्ध वर्ग को गंभीरता से विचार कर इस्लामिक कट्टरवाद को जड़ से मिटाने के लिए पहल करनी चाहिए, नहीं तो जिहादी मानसिकता व कट्टरता से लोग तो पीड़ित हैं हीं, ये इस्लाम को भी निगल जाएगी.

6 दिसंबर को वसीम रिजवी ने अपनाया सनातन धर्म
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने 6 दिसंबर को सनातन धर्म अपना लिया. इसके साथ ही उनका नाम भी बदल गया. वसीम रिजवी का नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गया. इस्लाम छोड़कर हिंदू बनने के बाद जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी) ने कहा था, 'धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है, जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन सा धर्म स्वीकार करूं. सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, जितनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं और किसी धर्म में नहीं है. इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते. हर जुमे की नमाज के बाद हमारा सिर काटने के लिए फतवे दिए जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में हमको कोई मुसलमान कहे, इससे हमको खुद शर्म आती है.' 

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