आपको जानकर शायद हैरत हो कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार के दो साल के कार्यकाल में महज 4 दंगे हुए. यह दावा खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सदन में किया. दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले सरकार की ओर से ही डेढ़ साल के कार्यकाल में 27 दंगों का आंकड़ा जारी किया गया था.
दरअसल मामले ने तूल तब पकड़ा जब विधानसभा कि कार्यवाही के दौरान बीजेपी ने सरकार से सवाल करते हुए अब तक प्रदेश में हुए साम्प्रदायिक दंगों का हिसाब मांगा. सरकार ने जवाब में बताया कि अब तक सपा सरकार बनने के बाद प्रदेश में कुल 4 सांप्रदायिक दंगे हुए जिनमें 56 लोगों की मौत हुई और करीब 136 लोग गंभीर रूप से घायल हुए. सरकार के इस जवाब के बाद प्रमुख विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी ने सदन के भीतर जमकर हंगामा शुरू कर दिया.
बीएसपी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, '27 दंगों वाला जवाब सही है या 4 दंगों वाला? आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक 115 दंगों का आंकड़ा सही है तो स्वाभाविक रुप से समाजवादी पार्टी की सरकार अपने को बचाने का पाप कर रही है.'
वहीं बीजेपी ने आरोप लगाया कि सांप्रदायिक सदभाव को बिगाड़ने वालों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है इसलिए सरकार ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया.
सांप्रदायिक दंगों के जवाब पर कांग्रेस ने भी आपत्ति जताई. कांग्रेस ने कहा कि इसी सपा सरकार ने पहले साल इसी सदन में 27 सांप्रदायिक दंगों की बात स्वीकार की है और अब चार दंगे बताए जा रहे हैं और उत्तर प्रदेश की सरकार जनता को गुमराह कर रही है.
सदन में विपक्ष के आक्रामक तेवर झेल चुकी समाजवादी पार्टी अब सांप्रदायिक दंगों के सवाल पर बचती नजर आ रही है. पार्टी का दावा है कि जवाब वहीँ दिया जाता है जो सवाल पूछा जाता है.
उत्तर प्रदेश में दंगों के लेकर हर रोज नए आंकड़े जारी हो रहे हैं. ऐसे आकंडो की बाजीगरी और सियासत के बीच दंगा पीडितों को राहत कैसे मिलेगी यह बड़ा सवाल है.