कैराना उपचुनाव में प्रचार के आखिरी दिनों में लोक दल के उम्मीदवार कंवर हसन के आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन के पक्ष में बैठ जाने और समर्थन कर देने के बाद बीजेपी उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जबकि गठबंधन की स्थिति और मजबूत हो गई है, लेकिन लोकदल ने चुनाव से अपने उम्मीदवार को बिठाए जाने की शिकायत चुनाव आयोग से की है.
लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि उनके उम्मीदवार कंवर हसन को कालेधन का इस्तेमाल कर राष्ट्रीय लोक दल के बड़े लोगों ने अपने घर बुलाकर उनसे आरएलडी और सपा के जॉइंट उम्मीदवार को समर्थन दिलवाया और साथ ही उन्हें चुनाव से हट जाने के लिए मजबूर किया है. ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग को इस मामले को संज्ञान लेना चाहिए कि आखिर किन परिस्थितियों में कैराना में उनके उम्मीदवार को मतदान के पहले दूसरे उम्मीदवार को समर्थन करना पड़ा और खुद को चुनाव से अलग करना पड़ा है.
बता दें कि तबस्सुम हसन और इमरान मसूद की इस इलाके में पुरानी अदावत है माना जा रहा है कि कुंवर हसन को कांग्रेस के इमरान मसूद का समर्थन हासिल था. कंवर हसन तबस्सुम हसन के देवर हैं, लेकिन कांग्रेस ने जब इमरान मसूद पर लगाम कसी तो वो न सिर्फ आरएलडी के समर्थन में आए बल्कि उनकी पहल पर ही कंवर हसन ने भी खुद को चुनाव से अलग किया है. इसके बाद अब यह लड़ाई सीधे-सीधे बीजेपी और सपा-आरएलडी गठबंधन के बीच सिमट गई है.
लोकदल ने आरोप लगाया है कि चौधरी अजीत सिंह की पार्टी ने उनके उम्मीदवार को चुनाव से हटाने के लिए कालेधन का इस्तेमाल किया है. ऐसे में आरएलडी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
कैराना की लड़ाई सीधे-सीधे बीजेपी और आरएलडी के बीच होती दिख रही है. बीजेपी के खिलाफ गठबंधन बनाने के लिए न सिर्फ जोरदार अभियान चल रहा है बल्कि चुन-चुनकर मैदान में उतरे उम्मीदवारों को चुनाव से हटाया भी जा रहा है. ऐसे में साफ है यह लड़ाई बीजेपी और विपक्षी गठबंधन के लिए जीने मरने का सवाल बन गया है.
सपा के उदयवीर सिंह कहते हैं कि हमारा गठबंधन पहले से ही मजबूत है लेकिन बीजेपी के खिलाफ हम उन तमाम ताकतों से अपील करते हैं कि वह हमारी इस लड़ाई में हमारे साथ खड़े हो जो बीजेपी को हराना चाहते हैं. अगर किसी कारणवश हमारे साथ नहीं आ सकते तो हमारे लिए बाधा न बनें.
बीजेपी प्रवक्ता चंद्रमोहन कहते हैं, 'विपक्ष हमें हराने के लिए तमाम हथकंडे अपना रहा है, लेकिन ये उनके किसी काम नहीं आने वाले हैं. प्रदेश की जनता मोदी-योगी का दौर देख चुकी है और अखिलेश यादव का वह दौर भी उसे याद है. कैराना के मैदान में कोई रहे या हटे BJP की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला.
बहरहाल चुनाव खत्म होने में एक दिन का वक्त बचा है और दोनों पार्टियां साम दाम दंड भेद सब कुछ इस्तेमाल करने में जुटी हैं. अब देखना है कि कैराना की राजनीतिक लड़ाई कौन जीतता है?