उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का 21 अगस्त को निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार 23 अगस्त को उनके पैतृक गांव अलीगढ़ के अतरौली के नरौरा में किया जाएगा. कल्याण सिंह सिर्फ नाम नहीं संपूर्ण शख्सियत थे. वे राम जन्मभूमि आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले एक कुशल राजनेता थे. राज्य के अलग अलग हिस्सों की तरह बुंदेलखंड के लोगों से उनके जुड़ाव के किस्से हमेशा सुने जाते रहे हैं.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने से लेकर मुख्यमंत्री तक के सफर में झांसी की एक रिश्ते में उनकी बहन भी हमेशा उनके साथ रहीं. उनका नाम लक्ष्मी देवी राजपूत था. कल्याण सिंह जब भी झांसी आते थे, वे अपनी बहन से जरूर मिलने आते थे. सीपी मिशन कंपाउंड में रहने वालीं लक्ष्मी देवी राजपूत के परिवार से कल्याण सिंह का गहरा नाता था. अलीगढ़ में रिश्तेदारी होने के चलते लक्ष्मी देवी कल्याण सिंह की रिश्ते में बहन लगती थीं. लक्ष्मी के बेटे अनिल बताते हैं कि उनके मामा यानी कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बनने के बाद कई बार उनके घर आए.
पूनम के हाथ का बना खाना खाते थे कल्याण सिंह
लक्ष्मी देवी की सबसे बड़ी बहू पूनम ही कल्याण सिंह के लिए खाना तैयार करती थीं. पूनम बताती है कि हम सभी लोग कल्याण सिंह जी को मामा ही कहते थे और जब भी उनका झांसी आना होता था तो हम लोगों को पहले ही सूचना दे दी जाती थी. उसी हिसाब से हम लोग तैयारी कर लेते थे और उनकी पसंद का खाना कभी कढ़ी, तो कभी मूंग की दाल तैयार कर देते थे.
5 शादियों में आए कल्याण सिंह
लक्ष्मी देवी राजपूत के 6 बच्चों में से 5 बच्चों की शादी में कल्याण सिंह ने शिरकत की. वे सीएम बनने के बाद हुईं सभी शादियों में शामिल हुए. अनिल ने बताया कि लक्ष्मी देवी राजपूत का निधन इस साल मार्च में हो गया था. उस वक्त कल्याण सिंह ने फोन पर संवेदनाएं दी थीं. उन्होंने कहा था कि वे अस्वस्थ हैं, जल्द ठीक होकर घर आएंगे.
अनिल ने बताया कि उनकी मां और कल्याण सिंह में काफी स्नेह था. अगर मां जिंदा होती, तो वे निधन की खबर सुन अलीगढ़ जाती. लक्ष्मी देवी राजपूत के भाई श्याम राजपूत ने बताया कि जब कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़कर अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई, तो उनकी मां ने भी भाजपा से नाता तोड़ दिया था. कल्याण सिंह ने लक्ष्मी देवी को महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था.
ये भी पढे़: