उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक बेटी ने अपने मां-पिता की बेदर्दी से हत्या कर दी. 24 साल पहले गोद ली गई बेटी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पहले मां की हत्या की, फिर पिता का गला काट दिया. इस हत्याकांड ने 14 साल पहले हुए एक हत्याकांड की याद दिला दी. 14 साल पहले शबनम अपने परिवार के 7 लोगों का खून किया था.
कहानी अमरोहा के बावनखेड़ी गांव की है. गांव में रहने वाले शौकत एक कॉलेज में लेक्चरर थे. एक बेटा एमबीए और दूसरा इंजीनियर. घर की बड़ी बेटी शबनम इंग्लिश और भूगोल में डबल एमए. 14 अप्रैल 2008 को रात 1 बजे शौकत के एक पड़ोसी ने पुलिस को फोन किया और बताया कि शौकत के घर में कोई हादसा हो गया है.
पुलिस टीम शौकत के घर पहुंचती है. लेकिन जैसे ही पुलिसवाले घर में दाखिल होते हैं. उनके पैरों तले से ज़मीन खिसक जाती है. शौकत के मकान में चार अलग-अलग कमरों में शौकत, उनकी बीवी, उनके दो बेटों, एक बहू और दो बच्चों की लाशें पड़ी थीं. 11 महीने को बच्चे को छोड़ कर बाकी सभी गला कटा हुआ था. सभी लाशें खून से सनी थी.
शौकत के परिवार में इकलौती ज़िंदा बची शबनम घर के एक कोने में दहाड़े मार-मार कर रो रही थी. क़त्ल से पहले पूरे परिवार को नशीली दवा देने की बात भी सामने आ गई थी. शबनम ने उस रात की जो कहानी बताई, वो ये थी कि वो रात को छत पर सो रही थी. छत के रास्ते कुछ चोर घर में दाखिल हुए फिर वो ज़ीने से नीचे पहुंचे और उसके बाद नीचे के ही रास्ते से बाहर निकल गए. फिर जब वो नीचे पहुंची, तो उसने सबको मुर्दा पाया.
इस कहानी में कुछ ऐसे झोल थे, जिसने पहली बार शबनम को शक के घेरे में ला दिया. उस रात सच में बारिश नहीं हुई थी. ये शबनम का पहला झूठ था. अगर चोर दरवाज़े से बाहर निकले, तो कुंडी अंदर से बंद कैसे थी. ये शबनम का दूसरा झूठ था. अगर चोर दीवार के रास्ते छत पर आए, तो दीवार पर इसके कोई निशान नहीं थे, ये शबनम का तीसरा झूठ था.
शबनम अब रडार पर थी. लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती शबनम से हमदर्दी जताने उसके घर जा पहुंचीं और मुआवज़े के तौर पर शबनम को पांच लाख रुपये उसी वक्त उन्हें देना था. पुलिस के हिसाब से खुद शबनम क़ातिल थी. ऐसे में मुख्यमंत्री का मुआवज़ा देना अजीब सी स्थिति पैदा करने वाला था. फिर भी पुलिस ने तफ्तीश जारी रखी.
लोगों से पूछताछ में ये पता लगा लिया था कि बावनखेड़ी गांव के ही रहने वाले सलीम और शबनम में अच्छी दोस्ती थी. यहां तक कि शबनम अक्सर सलीम की बाइक पर स्कूल भी जाया करती थी. 17 अप्रैल 2008 को यानी हादसे के दो दिन बाद सलीम के साथ पुलिसिया तरीका अपनाया गया और फिर सलीम टूट गया और उसने पूरी कहानी उगल दी.
उसने पुलिस को कहानी सुनाई कि वो शबनम से प्यार करता था. सलीम ने ही पुलिस को पहला सबूत भी दिया. सबूत था वो कुल्हाड़ी जिससे सात लोगों का क़त्ल किया गया था. वारदात के बाद उस कुल्हाड़ी को तालाब में फेंक दिया गया था. पुलिस ने सलीम की निशानदेही पर वो कुल्हाड़ी बरामद कर ली थी. चौथे दिन शबनम भी टूट गई.
शबनम और सलीम के बीच वारदात के दिन 55 बार कॉल की गई थी. पूछताछ के दौरान शबनम और सलीम ने एक दहलानेवाला खुलासा भी किया. खुलासा 11 महीने के भतीजे को दोबारा मारने का. जब सलीम सबका मर्डर करने के बाद चला गया, तो शबनम का मासूम भतीजा रोने लगा. शबनम से उसे कॉल किया तो उसने कहा, अब मैं नहीं आऊंगा. फिर शबनम ने खुद ही उसका गला घोंट दिया था.
3 अगस्त 2010 में अमरोहा की अदालत ने सलीम और शबनम को मुजरिम क़रार देते हुए फांसी की सज़ा सुनाई थी. बाद में ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी फांसी की सज़ा बरकरार रखी. इसके बाद 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी सज़ा बरकरार रखा. राष्ट्रपति भी दया याचिका खारिज कर चुके हैं.