उत्तर प्रदेश में पुलिस व्यपारियों का कैसा उत्पीड़न कर रही है, इसका खुला नजारा गुरुवार को कानपुर में देखने को मिला. जहां पुलिस ने अपने गुडवर्क के चक्कर में एक व्यापारी के लाखों रुपये को हवाला का पैसा बता कर जब्त कर लिया, जबकि इनकम टैक्स टीम ने जांच के बाद इस पैसे को सही बतया था और इनकम टैक्स पे बताया था.
पुलिस के इस खुलासे की सबसे शर्मनाक बात तो ये थी कि जब पैसे का मालिक व्यपारी व्यापार मंडल के सैकड़ों लोगों के साथ एसएसपी को हकीकत बताने पंहुचा तो एसएसपी ने बिना व्यापारी की बात सुने अपने सिपाहियों से कहकर उनको अपने ऑफिस से बाहर निकलवा दिया.
तारीफ दीजिए कि इनकम टैक्स ने एक बजे व्यापारी और पुलिस को व्यापारी का पैसा सही है, यह लेटर दे दिया था, लेकिन कानपुर एसएसपी ने 5 बजे यह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी कि यह पैसा हवाला का है. और जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान व्यापारी राधेश्याम अपने व्यापार मंडल के साथ एसएसपी यशस्वी यादव को अपनी फ़रियाद बताने पहुंचे तो उन्होंने यह कहते हुए उनको बाहर निकलवा दिया कि बिना इजाजत यहां कैसे आ गये.
एसएसपी कानपुर यशस्वी यादव का कहना है, 'हरबंस मोहाल पुलिस को स्मगलिंग और हवाला रोकने में एक बड़ी कामयाबी मिली है. एक व्यापारी राधे श्याम को रंगेहाथों 7 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया है. इनके पास कोई भी कागज नहीं थे. पैसा हमने जब्त कर लिया है. कहते हैं कटे-फटे नोटों का धंधा करते हैं.'
कानपुर के घंटाघर में बुधवार को पुलिस ने चेकिंग के दौरान व्यापारी राधेश्याम की गाड़ी रोकी थी, जिसमें उनके पास 6,91,000 रुपया मिला था. पुलिस इस रुपये और व्यापारी को लेकर हरबंस मोहाल थाने पहुंच गई जहां व्यापारी ने बताया की मेरा पैसा 1 नंबर का है. मैं इसको बनारस से ला रहा हूं.
पुलिस ने सुबह इनकम टैक्स के असिस्टेंट डायरेक्टर तरुण कुशवाहा से जब नोटों की चेकिंग कराई तो उन्होंने व्यापारी के कागज देखने के बाद 1 बजे यह रिपोर्ट दी कि पैसा इनकम टैक्स पेड है. इसलिए पैसा व्यापारी को रिलीज कर दिया जाए लेकिन पुलिस ने गुडवर्क के लालच में व्यापारी और उसके पैसों को गिरफ्तार दिखा कर 5 बजे यह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी कि ये हवाला का पैसा है.
जब व्यापार मंडल के सैकड़ों लोग इनकम टैक्स का लेटर लेकर एसएसपी को हकीकत बताने गए तो उन्होंने अपने गुडवर्क के लालच में उन्हें बाहर निकलवा दिया. व्यापार मंडल के नेता कुसल भाटिया ने बताया, 'हमारे परिचित की गाड़ी बुधवार को पुलिस ने रोकी थी. उनका पैसा लेकर थाने गये थे. व्यापारी ने बताया था कि पैसा सही है. इनकम टैक्स अधिकारी तरुण कुशवाहा ने भी पैसा सही होने और रिलीज करने का आदेश दिया लेकिन पुलिस ने गुडवर्क के चक्कर में अभियुक्त बना दिया.'
कानपुर पुलिस के गुडवर्क के लिए व्यापारी को अभियुक्त बना देना कोई नया मामला नहीं है. इसके पहले भी पुलिस के कई ऐसे काले कारनामे सामने आ चुके हैं, लेकिन इस बार अफ़सोस इस बात का है कि जब इनकम टैक्स की रिपोर्ट व्यापारी को सही बता रही है तो एसएसपी ने किसके दम पर व्यापारियों की फ़रियाद सुने बगैर बाहर निकलवा दिया. क्या ऐसे ही अधिकारियों और गुडवर्क के बल पर अखिलेश सरकार उत्तर प्रदेश में व्यापारियों को आकर्षित करेगी.