लोकतंत्र में वोट को जनता का अधिकार माना गया है. हाल ही में गुजरात ने हर मतदाता के लिए चुनाव में वोटिंग को अनिवार्य कर दिया है. कहते हैं इससे लोकतंत्र सशक्त होता है. लेकिन देश में लोकतंत्र का दूसरा चेहरा यूपी ने दिखाया है. यहां एक दबंग प्रधान को वोट न देने के कारण एक मतदाता को अपने दोनों पैर गंवाने पड़े हैं. यकीनन समय के साथ जुर्म की यह दास्तान भुला दी जाएगी, लेकिन क्या वोटर के बहाने यह लोकतंत्र के पैर काटने की कवायद नहीं है.
घटना कानपुर देहात के अकबरपुर थाना की है. देश के आम नागरिक की तरह विजय सिंह की आंखों में भी ख्वाब पलते थे. ख्वाब बेहतर भविष्य के. शायद इसलिए गांव के चुनाव में उसने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. लेकिन दबंगई और पुरानी रंजिश ने क्रूरता का ऐसा रूप अख्तियार किया कि सपने आंसुओं में बदल गए और सामने एक काला सच रह गया. कुछ वैसा ही जैसा उसकी उंगलियों पर वोट देने के बाद काली स्याही का रंग है.
कुल्हाड़ी से पैर पर किए अनगिनत वार
अकबरपुर थाना के बिल्वाहार गांव में विजय सिंह यादव को दो दिन पहले रंजिश के कारण धारदार हथियार से अधमरा कर रेलवे लाइन पर डाल दिया गया था. इस बीच वहां से गुजरते किसी परिचित ने उन्हें पहचान लिया और फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. विजय सिंह के पैर पर एक के बाद एक अनगिनत कटने के निशान थे, लिहाजा डॉक्टरों ने दोनों पैर काट दिए, लेकिन जब उसे होश आया तो पूरी कहानी ही बदल गई.
विजय ने बताया कि उसे मटिया गांव से गांव के प्रधान किशन पाल सिंह हथियार के बल पर उठा ले गए थे. उन लोगों ने उन्हें मारा और मृत समझकर रेलवे पटरी पर फेंक दिया. विजय के भाई अजय सिंह ने बताया कि वे शिकायत दर्ज करवाने के लिए रानियां चौकी गए थे, पुलिस ने प्रार्थना पत्र ले लिया लेकिन कोई रिसीविंग नहीं दी. यही नहीं, पुलिस ने अभी तक मामले में कोई कार्रवाई भी नहीं की है.
क्या और कैसे घटी घटना
अजय के मुताबिक विजय ने घरवालों को पूरी घटना बताई है. अजय ने कहा, 'विजय को प्रधान किशन पाल सिंह यादव ने घात लगाकर मटिया गांव के पास से साथी दीपू सिंह, सिप्पु, रामु और चार अज्ञात लोगों के साथ कट्टा, तमंचा, कुल्हाड़ी और चाकू लगाकर अगवा किया. वे उसे किसी अज्ञात स्थान पर ले गए और धारदार हथियारों से मारने लगे. सबसे ज्यादा वार कुल्हाड़ी से विजय के पैरों पर किया गया, जिससे पैर कई जगहों से कट गया और डॉक्टरों के लिए इसे जोड़ना नामुमकिन सा हो गया. लिहाजा पैर काटना पड़ा.'
पुरानी रंजिश का नतीजा
विजय सिंह यादव के भाई ने बताया कि गांव के प्रधान किशन पाल सिंह यादव से उनकी करीब दस साल पुरानी दुश्मनी चली आ रही है. किशन पाल गांव का दबंग है. उसने उन लोगों से चुनाव में वोट का दबाव डाला था, जिसका परिवार ने विरोध किया. अजय ने बताया कि इस दुश्मनी के कारण विजय और किशन पाल में कई बार कहा सुनी भी हो चुकी है.