कोरोना महामारी के बीच कांवड़ यात्रा को इजाजत दिए जाने के योगी सरकार के फैसले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है, जिस पर 16 जुलाई को सुनवाई होगी. हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि योगी सरकार निर्णय बदलेगी या यात्रा के लिए कोर्ट में तर्क रखेगी. लेकिन, योगी सरकार ने जिस तरह से स्टैंड लिया है, उसे लगता है कि कांवड़ यात्रा रोकने के मूड में सरकार नहीं है. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट यात्रा पर रोक लगाती है तो इसका सियासी लाभ भी बीजेपी के पक्ष में जाएगा.
बता दें कि कोरोना संक्रमण के चलते पिछली बार भी कांवड़ यात्रा नहीं हुई लेकिन इतना हल्ला नहीं हुआ. न सरकार ने जिद की न हिंदू संगठनों ने कोई एतराज जताया था. लेकिन, इस बार यूपी में 7 महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने है और योगी सरकार हिंदुत्व के एजेंडे से किसी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि सरकार कांवड़ यात्रा पर अड़ी है, क्योंकि हिंदुत्व एजेंडे में कांवड़ यात्रा का रोल बहुत अहम है.
हालांकि, उत्तराखंड सरकार ने कुंभ से सबक लेते हुए कांवड़ यात्रा पर रोक लगा रखा है, लेकिन यूपी सरकार ने तो बकायदा बैठक कर 25 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ा यात्रा को हरी झंडी दे रखा है. वहीं, अब मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद योगी सरकार अभी तक अपने फैसले पर कायम हैं. माना जा रहा है कि सरकार कोर्ट में 16 जुलाई को कांवड़ यात्रा के पक्ष में मजबूती के साथ अपना पक्ष रखने की कवायद कर रही है. ऐसे में साफ जाहिर है कि योगी सरकार कांवड़ यात्रा को लेकर अपने कदम पीछे खींचने के मूड में नहीं दिख रही.
कांवड़ यात्रा पर सियासत तेज
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि कांवड़ संगठनों से बात कर कांवड़ यात्रा से जुड़ी पूरी तैयारियां हो गई हैं. हर साल की तरह इस साल भी 25 जुलाई से प्रदेश में कांवड़ यात्रा शुरू होगी. साथ ही हम सुनिश्चित करेंगे कि कोविड नियमों का पालन हो और लोगों की आस्था का भी ध्यान रखा जाएं.
वहीं, समाजवादी पार्टी कांवड़ यात्रा का खुलकर विरोध नहीं कर रही है बल्कि लोगों की सुरक्षा का जरूर तर्क देते हुए अपना पक्ष रख रही है. सपा के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया का कहना है कि राज्य की किसी भी नागरिक की स्वास्थ्य और सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है. राज्य सरकार ये सुनिश्चित करें कि किसी भी नागरिक की स्वास्थ्य और सुरक्षा में कोई चूक ना हो.
कांवड़ यात्रा के पक्ष में बीजेपी
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार काशी प्रसाद का कहना है कि योगी सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा निकालने का ऐलान पूर्ण रुप से उनकी धार्मिक प्रवृत्ति से जुड़ा है, क्योंकि वह खुद एक पीठ के महंत हैं. इसके अलावा बीजेपी के हिंदुत्व का एजेंडा भी इस कांवड़ यात्रा के जरिए मजबूत होता है. योगी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी कांवड़ यात्रा है और यूपी में बड़ी संख्या में लोग कांवड़ा यात्रा जाते हैं. इसीलिए योगी सरकार इस बार यह यात्रा को हरहाल में कराने की जिद पर अड़ी है.
कांवड़ यात्रा के सियासी मायने
सावन के महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा पर जाते हैं. उत्तराखंड में गौमुख,गंगोत्री, ऋषिकेश, हरिद्वार से शुरू होकर उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर हापुड़, अलीगढ़, आगरा, मुरादाबाद, बिजनौर, के अलावा दूसरे राज्यों जिनमे दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश तक भी कांवड़िए अपने गंतव्य को जाते हैं. यह बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे के लिहाज से काफी अहम है. इसीलिए योगी सरकार ने सत्ता में आते ही कांवड़ियों पर हेलीकाप्टर से फूल बरसाए थे और उनके सेवा-सत्कार के लिए काफी व्यवस्था की थी.
मेरठ गाजियाबाद, गौतमबुधनगर, हापुड़, बुलंदशहर और बागपत में करीब कावड़ यात्रा के 900 शिविर लगाए जाते हैं.वहीं, सहारनपुर मंडल के सहारनपुर, शामली और मुजफ्फरनगर में 350 से अधिक शिविर लगाए जाते हैं. इसके अलावा पूर्वांचल के गोरखपुर, आजमगढ़, बलिया, देवरिया, जौनपुर, गाजीपुर, मऊ में काशी विश्वनाथ मंदिर पर कांवड़ यात्रा के जरिए जल चढ़ाने के लिए जाते हैं. कावड़ यात्रा के दौरान यूपी के सभी जिलों में सैलाब उमड़ता है. बीजेपी के चुनावी लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण है.
योगी सरकार ने हरी झंडी दी
बता दें कि यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो दिन पहले ही प्रदेश के सभी मंडलों के कमिश्नर व पुलिस अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक कर निर्देश दिया था कि कांवड़ यात्रा की तैयारियां पूरी कर ली जाए. हालांकि, उन्होंने आदेश दिया है कि पारंपरिक कांवड़ यात्रा के दौरान सभी प्रोटोकॉल का पालन हो. मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि कोरोना संक्रमण को लेकर विशेषज्ञों के भविष्य के आकलनों को ध्यान में रखते ही कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि स्थिति को देखते हुए RT-PCR निगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता भी लागू की जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया
उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा निकालने की अनुमति को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया. जस्टिस नरीमन ने सुनवाई के दौरान कहा, हमने परेशान करने वाली खबर पढ़ी है कि यूपी सरकार कांवड़ यात्रा को मंजूरी दे रही है, जबकि उत्तराखंड सरकार ने इस पर रोक लगाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से निपटने के लिए सख्ती बरतने की जरूरत बताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 25 जुलाई से कांवड़ यात्रा की शुरूआत होनी है और ऐसे में इस अहम मुद्दे पर सुनवाई जरूरी है. 16 जुलाई को इस मामले में कोर्ट सुनवाई करेगा. ऐसे में देखना है कि योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट में कांवड़ यात्रा को लेकर किस तरह का तर्क रखती है.