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चुनार के पत्थरों से संवरेंगे काशी के घाट

काशी के घाटों का स्वरूप भले ही अलग-अलग हो, लेकिन उनसे एक जैसी आभा बिखरेगी. घाटों और उन पर बने मंदिरों को चुनार के लाल पत्थरों के रंग में रंगने की योजना है.

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काशी के घाटों का स्वरूप भले ही अलग-अलग हो, लेकिन उनसे एक जैसी आभा बिखरेगी. घाटों और उन पर बने मंदिरों को चुनार के लाल पत्थरों के रंग में रंगने की योजना है.

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पर्यटन विभाग ने 84 घाटों के सौंदर्य को निखारने की कार्य योजना प्रदेश सरकार को भेजी है. इसमें घाटों के अलावा गंगा से दिखने वाले मंदिरों और भवनों को भी एक रंग में रंगने का प्रस्ताव है. अधिकारियों का कहना है कि ऐसा होने पर गंगापार रेती से पूरा शहर का नयनाभिराम नजर आएगा. घाटों की एकरूपता से गंगा में नौकायन करने वाले पर्यटकों का आनंद बढ़ जाएगा. न केवल घाट बल्कि वहां बने भवनों, दुकानों आदि को भी चुनार के लाल पत्थरों के रंग में पॉलिश किया जाएगा. इससे घाट तो चमकते नजर आएंगे ही पत्थरों का क्षरण भी रुकेगा.

क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र मिश्रा ने बताया कि निजी भवनस्वामियों से भी अपील की जाएगी कि वे भी अपने भवनों को यही रंग दे. फिलहाल कोई जोर जबरदस्ती की बात नहीं है.

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घाटों को एक रंग देने से उन प्राचीन भवनों की साफ-सफाई, रंगाई-पुताई हो जाएगी जिनपर गंदगी या काई आदि जम गई है. उनकी सुंदरता बढ़ेगी.

अस्सी से रविदास घाट के मध्य खाली पड़े 210 मीटर क्षेत्र को भी जल्द ही पर्यटन विभाग विकसित करेगा. इसके अंतर्गत घाटों का स्वरूप अन्य प्राचीन घाटों सरीखा होगा पर पर्यटक सुविधाओं से युक्त होगा.

गंगा नदी के दशाश्वमेध सरीखे घाटों पर पर्यटन विभाग लाइट एंड साउंड सिस्टम लगाने की योजना बना रहा है. नदी की लहरों पर लेजर के माध्यम से भगवान शिव, मां गंगा आदि के चित्र दिखाने के साथ ही साउंड से इसे और भी आकर्षक बनाया जाएगा.

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