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काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का 19 अप्रैल को कमिश्नर करेंगे दौरा

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस (Kashi Vishwanath Gyanvapi masjid) को लेकर कोर्ट ने कमिश्नर नियुक्त करने का फैसला किया है. नियुक्त कमिश्नर 19 अप्रैल को मंदिर-मस्जिद परिसर का दौरा और वीडियोग्राफी करेंगे.

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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस पर वाराणसी जिला अदालत का आदेश
काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस पर वाराणसी जिला अदालत का आदेश
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वाराणसी जिला कोर्ट ने सितंबर 2020 में दाखिल याचिका पर दिया आदेश
  • कमिश्नर 19 अप्रैल को मंदिर-मस्जिद परिसर का करेंगे दौरा

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस को लेकर कोर्ट ने कमिश्नर नियुक्त करने का फैसला किया है. नियुक्त कमिश्नर 19 अप्रैल को मंदिर-मस्जिद परिसर का दौरा और वीडियोग्राफी करेंगे. कोर्ट ने इस दौरान सुरक्षाबल तैनात करने का आदेश दिया है, ताकि किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो. वाराणसी जिला कोर्ट ने सितंबर 2020 में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.

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अजय मिश्र बने कमिश्नर, 20 को सौंपेंगे रिपोर्ट

कोर्ट के आदेश के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में विश्वेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग की आद्या शक्ति शृंगार गौरी के मंदिर के बारे में रिपोर्ट तैयार करने के लिए कमिश्नर के तौर पर वकील अजय कुमार मिश्र 19 अप्रैल को दौरा करेंगे. इसके बाद कमिश्नर 20 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपेंगे.

तीन दिन बहस के बाद दिया आदेश

विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन और राखी सिंह और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले में दाखिल याचिका में तीन दिनों की बहस के बाद कोर्ट ने कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया है. तीन दिन चली बहस के दौरान वादी पक्षकारों की ओर से शिवम गौड़, सुधीर त्रिपाठी, सुभाष चतुर्वेदी, पवन पाठक, महेश, मनोज, और मदन यादव ने भी दलीलें रखीं.

याचिका में यह की गई है मांग

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वाराणसी की जिला अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने मुख्य रूप से दलीलें दीं. याचिका में परिसर को हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं ने परिसर के निरीक्षण, रडार अध्ययन और वीडियोग्राफी के लिए कोर्ट से आदेश मांगा था. याचिकाकर्ता का दावा है कि परिसर को हिंदू देवताओं को वापस सौंप दिया जाना चाहिए.

पहले भी नियुक्त हो चुके हैं कमिश्नर

वाराणसी के सिविल जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत से जारी आदेश के मुताबिक इससे पहले भी दो वकीलों अजय पांडेय और अजीत कुमार पुष्कर को अलग-अलग समय पर कोर्ट ने वकील कमिश्नर नियुक्त किया था, लेकिन किन्हीं कारणों से दोनों जिम्मेदारी नहीं निभा पाए थे. अब अदालत ने पुलिस व्यवस्था और वीडीयोग्राफी के साथ कमीशन की रिपोर्ट तलब की है.

दोनों पक्ष क्या कर रहे हैं दावे

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि इस विवादित ढांचे के नीचे ज्योतिर्लिंग है. यही नहीं ढांचे की दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र भी प्रदर्शित है. दावा किया जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने 1664 में नष्ट कर दिया था. फिर इसके अवशेषों से मस्जिद बनवाई, जिसे मंदिर की जमीन के एक हिस्से पर ज्ञानवापसी मस्जिद के रूप में जाना जाता है.

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प्रतिवादी पक्ष (ज्ञानवापी मस्जिद) अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र में दावा किया गया कि यहां विश्वनाथ मंदिर कभी था ही नहीं और औरंगजेब बादशाह ने उसे कभी तोड़ा ही नहीं. जबकि मस्जिद अनंत काल से कायम है. उन्होंने अपने परिवाद पत्र में यह भी माना कि कम से कम 1669 से यह ढांचा कायम चला आ रहा है. 

1991 में कोर्ट पहुंचा था मामला

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी ममले में 1991 में वाराणसी कोर्ट में मुकदमा दाखिल हुआ था. इस याचिका कि जरिए ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति मांगी गई. लेकिन कुछ ही दिनों बाद मस्जिद कमेटी ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 का हवाला देकर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1993 में स्टे लगाकर मौके पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया. हालांकि, स्टे ऑर्डर की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और फैसले के बाद 2019 में वाराणसी की कोर्ट में फिर से इस मामले की सुनवाई शुरू हो गई. अभी कई अदालतों में इस विवाद को लेकर कई केस दाखिल हैं. जिन पर सुनवाई चल रही है. 


 

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