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प्रियंका-जयंत-केजरीवाल के बाद अखिलेश किसान पंचायत कर साधेंंगे समीकरण

किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में महापंचायतों का दौर शुरू हो गया है. सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने में विपक्षी दल जुट गए हैं. राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के बाद अब सपा मुखिया अखिलेश यादव किसान पंचायत के जरिए पश्चिम यूपी की सियासी समीकरण साधने के लिए उतर रहे हैं. 

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव
सपा प्रमुख अखिलेश यादव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसान आंदोलन का केंद्र बनता पश्चिम यूपी
  • पश्चिम यूपी में किसान पंचायतों का दौर शुरू
  • सपा प्रमुख अखिलेश टप्पल में करेंगे किसान पंचायत

कृषि कानून के खिलाफ तीन महीने से चल रहे किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में महापंचायतों का दौर शुरू हो गया है. सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने में विपक्षी दल जुट गए हैं. राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के बाद अब सपा मुखिया अखिलेश यादव किसान पंचायत के जरिए पश्चिम यूपी का सियासी समीकरण साधने के लिए उतर रहे हैं. 

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कृषि कानूनों के खिलाफ अखिलेश यादव लगातार आवाज उठा रहे हैं, लेकिन अब सपा खुलकर किसानों के साथ खड़ी होने जा रही है. किसी समय किसान आंदोलन के लिए चर्चित रहे टप्पल (अलीगढ़) से सपा प्रमुख अखिलेश यादव शुक्रवार को किसान पंचायत को संबोधित करेंगे. किसानों के समर्थन में सपा की यह पहली रैली है, जिसके जरिए किसानों को साधने का दांव चलेंगे.

टप्पल ही नहीं अखिलेश किसान आंदोलन का कभी केंद्र रहे बाजना (मथुरा) में 19 मार्च को किसान पंचायत को संबोधित करेंगे. इसके अलावा मेरठ जिले के मवाना और कासगंज में किसान पंचायत की रूप रेखा बनाई जा रही है. कासगंज की किसान पंचायत में सपा की सहयोगी महान दल के प्रमुख केशव देव मौर्य भी अखिलेश के साथ मंच शेयर केंगे.

बता दें कि पश्चिम यूपी में किसान और जवान ही नजर आते हैं. यहां की राजनीतिक दशा और दिशा जाट और मुस्लिम समुदाय तय करता है. किसान आंदोलन में दोबारा से आई जान के बाद चौधरी अजित सिंह के बेटे व आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी अपने खोए हुए जनाधार खासकर जाट समुदाय को वापस लाने के लिए सक्रिय हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम जिले और कस्बे में आरएलडी नेता जयंत चौधरी किसान महापंचायत कर जाट समुदाय को सियासी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. 

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वहीं, कांग्रेस महासचिव व यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी भी लगातार किसान महापंचायत कर बीजेपी के खिलाफ पश्चिम यूपी में माहौल बनाने में जुटी हैं. प्रियंका गांधी ने सहारनपुर से किसान महापंचायत शुरू किया था, जिसके बाद बिजनौर, मथुरा, मुजफ्फरनगर के बाद अब रविवार को मेरठ में किसानों को संबोधित करेंगी. प्रियंका गांधी की रैली में कभी भीड़ जुट रही है, जिससे कांग्रेस पार्टी के हौसले काफी बुलंद हैं. इसीलिए कांग्रेस ने जाट समुदाय के दिग्गज नेता और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रियंका गांधी के साथ पश्चिम यूपी में लाकर जाट समाज को सियासी तौर पर पार्टी से जोड़ने की रणनीति अपनाई है.

दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही यूपी में सियासी आधार तलाश रही आम आदमी पार्टी को किसान आंदोलन ने सूबे में एंट्री करने का मौका दे दिया है. यही वजह है कि दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत की आवभगत में किसी तरह कोई कमी नहीं रखी. यही नहीं फरवरी महीने के आखिरी दिन रविवार को केजरीवाल ने पश्चिम यूपी के मेरठ में किसान महापंचायत को संबोधित कर सूबे के राजनीतिक समीकरण को साधने की कवायद करते नजर आए थे.

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पश्चिम यूपी में राजीतिक दलों के सक्रियता और किसानों की नाराजगी को देखते हुए सपा ने भी किसान पंचायत में उतरने की रणनीति अपनाई है. अखिलेश यादव इसकी शुरुआत अलीगढ़ के टप्पल से शुरू कर रहे हैं, जिसके बाद पश्चिम यूपी के तमाम जगहों पर किसान पंचायत के जरिए बीजेपी और योगी सरकार पर हमला करने के साथ-साथ 2022 के राजनीतिक समीकरण साधने की कवायद करेंगे. हालांकि, इसमें वो कितना कामयाब होंगे यह तो वक्त ही बताएगा.

 

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