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मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत के लिए जाटों की सभी खाप एकजुट, टिकैत दिखाएंगे ताकत

संयुक्त किसान मोर्चा मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में पांच सितंबर को किसान महापंचायत करने जा रहा है, जिसकी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन को सौंपी गई है. यह महापंचायत किसान आंदोलन का भविष्य तय करने वाली है. यही वजह है कि किसान संगठन के लोग गांव-गांव जाकर पंचायत कर लोगों से महापंचायत में आने की अपील कर रहे हैं. 

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किसान नेता राकेश टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसान महापंचायत के जरिए टिकैत दिखाएंगे ताकत
  • बालियान खाप और गठवाला खाप फिर आए साथ
  • महापंचायत तय करेगी किसान आंदोलन का भविष्य

मुजफ्फरनगर के सिसौली कस्बे में बीजेपी विधायक उमेश मलिक के साथ हुई घटना के बाद से जाट समुदाय दो गुटों में बंटा दिखा. गठवाला खाप के बाबा चौधरी राजेंद्र सिंह और भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत के बीच दूरियां बढ़ गई थीं, लेकिन पांच सितंबर को होने वाली किसान महापंचायत से पहले सुलह-समझौता हो गया. माना जा रहा है किसान संगठन मुजफ्फरनगर की पंचायत से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ दो-दो हाथ करने का ऐलान भी कर सकते हैं. 

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मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत

संयुक्त किसान मोर्चा मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में पांच सितंबर को किसान महापंचायत करने जा रहा है, जिसकी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन को सौंपी गई है. यह महापंचायत किसान आंदोलन का भविष्य तय करने वाली है. यही वजह है कि किसान संगठन के लोग गांव-गांव जाकर पंचायत कर लोगों से महापंचायत में आने की अपील कर रहे हैं. 

दरअसल, पिछले दिनों सिसौली कस्बे में बीजेपी विधायक उमेश मलिक के साथ हुई घटना के बाद से गठवाला खाप और बालियान खाप के बीच दूरी बढ़ गई थी. ऐसे में गठवाला खाप के प्रमुख बाबा राजेंद्र चौधरी ने बैठक कर किसान महापंचायत के बहिष्कार का ऐलान कर दिया था, जिससे बालियान के प्रमुख नरेश टिकैत बैकफुट पर आ गए थे. हालांकि, नरेश टिकैत दावा करते रहे कि वे खाप के बाबा को अवश्य मना लेंगे. गठवाला खाप के बिना वे अधूरे हैं.

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जाट खापों के बीच मिटी दूरियां

शामली के कुरावा गांव की पंचायत में गठवाला खाप के बाबा राजेंद्र सिंह व बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत एक मंच पर दिखाई दिए. गठवाला खाप के बाबा ने कहा कि देश के किसानों की लड़ाई में वे पीछे नहीं रहेंगे. साथ ही नरेश टिकैत ने कहा कि बालियान व गठवाला खाप दोनों बड़े कुनबे हैं. बड़े कुनबों में थोड़ा बहुत मनमुटाव तो हो ही जाता है, लेकिन अब हम सब साथ हैं. नरेश टिकैत ने कहा कि गठवाला खाप ने हमेशा सभी किसान आंदोलन तथा किसानों की समस्याओं को लेकर कंधे से कंधा मिलाकर चलने का काम किया है. 

किसान महापंचायत के समर्थन में पश्चिम यूपी की प्रमुख बालियान खाप, गठवाला खाप, राठी खाप, तोमर खाप, मलिक खाप, चौहान खाप, चौगामा खाप, लाटियान खाप, अहलावत खाप, देशवाल खाप, कालखण्डे खाप, बत्तीसा खाप, गुलियान खाप हैं. इन खापों को एक साथ लाने में नरेश टिकैत ने अहम भूमिका निभाई है और आपसी मन-मुटाव को दूर किया है. किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए पंजाब के 32 किसान संगठनों के अलावा हरियाणा के किसान संगठन और भाकियू के पदाधिकारी मंच पर रहेंगे. 

विपक्षी दल भी पंचायत के समर्थन में

वहीं, राष्ट्रीय लोकदल से लेकर सपा और कांग्रेस के नेता भी किसान महापंचायत के समर्थन में खड़े हैं. हालांकि, मंच पर राजनैतिक दलों के नेताओं को स्थान देने के सवाल पर संयुक्त किसान मोर्चा में अभी मंथन चल रहा है. बताया जाता है कि अधिकांश किसान संगठन के पदाधिकारी चाहते हैं कि मंच पर केवल किसान संगठनों के पदाधिकारियों को ही जगह मिले, जिससे यह संदेश नहीं जाए कि विपक्षी राजनैतिक दलों के सहयोग से किसान महापंचायत का आयोजन हुआ है.   

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अब तक की सबसे बड़ी पंचायत

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव धर्मेंद्र मलिक के मुताबिक मुजफ्फरनगर की महापंचायत इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी किसान महापंचायत होगी. यह पंचायत कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन व संयुक्त किसान मोर्चा के मिशन यूपी की दिशा तय करेगी. सरकार ने अगर कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया व एमएसपी पर गारंटी का कानून नहीं बनाया तो मोर्चा यूपी समेत अन्य राज्यों में भी महापंचायत के माध्यम से आंदोलन तेज करेगा. 

धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि महापंचायत में तीनों कृषि बिल के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के किसानों की समस्या जैसे गन्ने का बकाया भुगतान, बिजली की बढ़ी कीमतें, डीजल-पेट्रोल आदि की आसमान छूती कीमतों को लेकर भी चर्चा होगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि किसानों के लिए यह जीने मरने का सवाल है और ऐसे में हमें बीजेपी के खिलाफ कोई राजनीतिक फैसला लेना भी होगा तो लेंगे. माना जा रहा है कि मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत में किसान संगठन चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. 

 

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